

दुनिया के कई देश चांद पर स्थायी बस्ती बसाने की तैयारी में हैं। NASA, China और ESA जैसे संगठन मून बेस के मिशन पर तेजी से काम कर रहे हैं। भारत भी चंद्रयान मिशन के बाद भविष्य में मानव मिशन की ओर कदम बढ़ा सकता है।
चांद पर बसने की होड़
New Delhi: चांद, जिसे हम बचपन से 'चंदा मामा' कहकर पुकारते आए हैं, अब विज्ञान की नजर में अंतरिक्ष में इंसानी बस्ती बसाने का अगला ठिकाना बन चुका है। दशकों तक इसे केवल कल्पनाओं और कहानियों में देखा गया, लेकिन अब दुनिया के कई देश चांद पर स्थायी बस्ती या 'मून बेस' बसाने की तैयारी में जुट गए हैं। इसका मकसद केवल वैज्ञानिक रिसर्च ही नहीं, बल्कि ऊर्जा संसाधनों, खनिजों की खोज और भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन का रास्ता तैयार करना है।
अमेरिका इस रेस में सबसे आगे है। NASA का 'Artemis मिशन' चांद पर इंसानों को दोबारा भेजने की दिशा में काम कर रहा है। 2025 तक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर दोबारा कदम रख सकते हैं। नासा का लक्ष्य है कि चंद्रमा पर एक स्थायी बेस (Permanent Lunar Base) तैयार किया जाए, जहां वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक रह सकें।
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चीन भी अंतरिक्ष की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहा है। Chang’e मिशन की सफलता के बाद अब चीन 2030 तक चांद पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना पर काम कर रहा है। चीन का फोकस चंद्रमा की सतह से खनिज, हेलीम-3 और अन्य ऊर्जा संसाधनों को निकालने पर है।
चांद बनेगा इंसानों का अगला ठिकाना
भारत ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-3 जैसे मिशनों के जरिए दुनिया को चौंका दिया है। ISRO का फोकस फिलहाल चंद्रमा की रिसर्च और सतह की जांच पर है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत भी मानवयुक्त मिशन की दिशा में कदम बढ़ा सकता है और चांद पर स्थायी अनुसंधान केंद्र बनाने की योजना संभव है।
रूस (पूर्व सोवियत संघ) ने 20वीं सदी में चंद्रमा और अंतरिक्ष में कई मील के पत्थर तय किए थे। अब रूस फिर से चांद पर लूनर बेस बनाने की योजना पर काम कर रहा है। उनका उद्देश्य चंद्र सतह पर वैज्ञानिक गतिविधियों को शुरू करना और वहां लंबे समय तक मानव उपस्थिति बनाए रखना है।
ESA (European Space Agency) ने 'Moon Village' नामक एक प्रोजेक्ट की योजना बनाई है, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर आधारित होगा। इस प्रोजेक्ट में दुनिया भर के वैज्ञानिक, शोधकर्ता और स्पेस एजेंसियां मिलकर चांद पर एक ऐसी जगह बनाएंगे जहां इंसान सुरक्षित रह सके।
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