सीबीआई के अरमानों पर फिरा पानी, महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली राहत; जानें पूरा मामला

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने सीबीआई को उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति देने वाले लोकपाल के आदेश को रद्द कर दिया। यह मामला भारतीय राजनीति में एक बड़ा विवाद बन चुका था।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 19 December 2025, 11:54 AM IST
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New Delhi: पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा को दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने लोकपाल के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें सीबीआई को महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति दी गई थी। यह मामला काफी चर्चाओं में था और महुआ मोइत्रा ने इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

अदालत का फैसला

21 नवंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने महुआ मोइत्रा को अंतरिम राहत देने से इन्कार करते हुए न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने इस मामले में लोकपाल के आदेश को रद्द कर दिया और सीबीआई को आगे कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

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पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप

यह मामला तब सामने आया था जब तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा पर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगा। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उनका दावा था कि वकील जय अनंत देहादराई ने कुछ सबूत दिए थे, जिनमें यह बताया गया कि मोइत्रा और हीरानंदानी के बीच सवाल पूछने के लिए रिश्वत का आदान-प्रदान हुआ था।

जय अनंत देहादराई का पत्र

निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर को एक पत्र लिखा था, जिसमें वकील जय अनंत देहादराई का एक पत्र भी संलग्न था। इसमें दावा किया गया था कि महुआ मोइत्रा ने लगभग 61 सवालों में से 50 सवाल खास तौर पर दर्शन हीरानंदानी और उनके व्यवसायिक हितों को बचाने के लिए पूछे थे। इस पत्र को लेकर कई सवाल उठे थे और इसे लेकर जांच की प्रक्रिया शुरू की गई थी।

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महुआ मोइत्रा का जवाब

महुआ मोइत्रा ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया था। उन्होंने दावा किया था कि उनका नाम जानबूझकर घसीटा गया है और उन पर राजनीति की जा रही है। उन्होंने लोकपाल की प्रक्रिया को गलत और अवैध बताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष सुना और राहत प्रदान की।

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  • 19 December 2025, 11:54 AM IST