

बिहार चुनाव को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा कि चुनाव आयोग और बीजेपी के इशारे पर बिहार में SIR के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हो रहा है, जिससे करोड़ों महिला मतदाताओं के वोट कट रहे हैं।
निर्वाचन आयोग (फाइल फोटो)
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस नेता अलका लांबा ने रविवार को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के इशारे पर चुनाव आयोग बिहार में SIR (Selective Inclusion/Removal) के नाम पर भारी फर्जीवाड़ा कर रहा है। उनका दावा है कि इस फर्जीवाड़े के कारण करीब 23 लाख महिलाएं आगामी विधानसभा चुनावों में वोट नहीं दे पाएंगी।
महिला मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कटे
अलका लांबा ने बताया कि बिहार में लगभग साढ़े 3 करोड़ महिला मतदाता हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने करीब 23 लाख महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए हैं। उन्होंने इसे संविधान के खिलाफ बताया। खासकर गोपालगंज, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, भोजपुर और पूर्णिया जैसे छह जिलों में लाखों महिलाओं के नाम काटे गए हैं। ये क्षेत्र 60 विधानसभा सीटों को कवर करते हैं, जहां 2020 के चुनाव में इंडिया गठबंधन ने करीब 25 सीटें जीती थीं।
कांग्रेस नेता ने यह भी बताया कि महिलाओं के अलावा लगभग 15 लाख पुरुषों के नाम भी वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं। उन्होंने इस पूरे मामले को 'वोट चोरी' करार दिया और कहा कि कांग्रेस देशभर में इसके खिलाफ 5 करोड़ हस्ताक्षर जुटाने का अभियान चला रही है।
कांग्रेस नेता अलका लांबा (फाइल फोटो)
मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
अलका लांबा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी बिहार में चुनाव प्रभावित करने के लिए महिलाओं के खातों में पैसे डाल रहे हैं, लेकिन साथ ही चुनाव आयोग के साथ मिलकर लाखों महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। उनका कहना था कि ये सब वोटरों के अधिकारों की चपत है और विपक्ष इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता इस 'वोट चोरी' को बर्दाश्त नहीं करेगी और चुनाव में इसका कड़ा जवाब देगी।
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फर्जीवाड़े के अन्य मामले
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर भी चुनाव आयोग पर फर्जीवाड़े के आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि जमुई जिले में एक ही घर के पते पर 247 वोटर रजिस्टर किए गए हैं, मुजफ्फरपुर में एक व्यक्ति के नाम तीन बार दर्ज हैं, और मृतकों के नाम भी फाइनल वोटर लिस्ट में बने हुए हैं। ये कुछ उदाहरण हैं, जबकि फर्जीवाड़े की पूरी सूची लंबी बताई जा रही है।
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