

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एनडीए की ओर से उम्मीदवार की घोषणा के बाद अब सभी की निगाहें इंडिया गठबंधन की अगली रणनीति पर हैं। समाजवादी पार्टी के नेताओं की प्रतिक्रियाओं ने संकेत दिए हैं कि विपक्ष जल्द ही बैठक कर प्रत्याशी पर मंथन करेगा। ओबीसी नेतृत्व और क्षेत्रीय संतुलन जैसे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दोनों गठबंधन अपने-अपने समीकरण साधने में जुटे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं, लेकिन अंतिम फैसला किसके पक्ष में जाएगा, यह देखने वाली बात होगी।
INDIA गठबंधन
New Delhi: उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अपने उम्मीदवार के नाम का औपचारिक ऐलान कर दिया है। एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। इस फैसले की घोषणा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने की। उनके मुताबिक, राधाकृष्णन का अनुभव, उनकी राजनीतिक समझ और संगठनात्मक पृष्ठभूमि उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती है।
NDA द्वारा अपने उम्मीदवार की घोषणा के बाद अब निगाहें विपक्षी INDIA गठबंधन पर टिक गई हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "एक उपराष्ट्रपति थे, वे कहां हैं? नया बन जाएगा, अच्छी बात है। हम क्या फैसला लेंगे, वह अलग बात है।"
वहीं सपा के वरिष्ठ नेता अनुराग भदौरिया ने कहा कि, "उन्होंने (NDA) अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। अब भारतीय गठबंधन भी जल्द बैठक कर इस पर रणनीति बनाएगा कि किसे मैदान में उतारा जाए। इस संबंध में जल्द जानकारी दी जाएगी।"
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NDA द्वारा एक अनुभवी ओबीसी नेता को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना विपक्ष की सामाजिक न्याय आधारित राजनीति को संतुलित करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं, INDIA गठबंधन किस चेहरे को सामने लाता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
खासतौर पर तब, जब विपक्षी दल सामाजिक समीकरणों और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए साझा उम्मीदवार चुनने की कोशिश कर रहे हैं। देश अब इस पर नज़र गड़ाए हुए है कि क्या INDIA गठबंधन एक मजबूत और सर्वस्वीकृत उम्मीदवार सामने लाएगा या यह चुनाव भी NDA के पक्ष में एकतरफा साबित होगा।
बता दें कि NDA ने जिन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है वो लंबे समय से संघ परिवार और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने किशोरावस्था में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ की विचारधारा को अपनाया था। 1998 और 1999 में वे तमिलनाडु के कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। हालांकि, इसके बाद उन्हें लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ा।
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