

21 जून को जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश का उपराष्ट्रपति पद खाली है। अब सबकी निगाहें 9 सितंबर पर टिकी हैं, जब नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होगा। लेकिन यह चुनाव आम नहीं होता—इसकी प्रक्रिया रहस्यमय, पेचीदा और बेहद दिलचस्प है। आखिर कौन होगा अगला उपराष्ट्रपति?
चुनाव प्रक्रिया और कौन डालता है वोट (सोर्स इंटरनेट)
New Delhi: देश भर में नए उपराष्ट्रपति को लेकर हलचल बढ़ती जा रही है। भारत में उपराष्ट्रपति पद की गरिमा और जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है, और अब यह कुर्सी खाली है। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा था, जिससे यह पद रिक्त हो गया। इसके बाद देश की राजनीतिक हलचल तेज हो गई और अब 9 सितंबर को इस पद के लिए चुनाव होगा।
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी रूपरेखा स्पष्ट की है। नामांकन की अंतिम तारीख 21 अगस्त 2025 रखी गई है, जबकि नाम वापस लेने की समयसीमा 25 अगस्त है। मतदान यदि आवश्यक हुआ, तो 9 सितंबर को होगा और उसी दिन परिणाम भी घोषित कर दिया जाएगा।
अब बात करते हैं चुनाव प्रक्रिया की, जो आम चुनावों से बिल्कुल अलग है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत यह चुनाव सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली (Single Transferable Vote System) के जरिए होता है। मतदाता को उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में अंक देने होते हैं — पहली पसंद को 1, दूसरी को 2 और ऐसे ही आगे।
मतदान पूरी तरह गुप्त होता है और खास पेन से किया जाता है, जो चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। मतदाता (MPs) केवल रोमन अंकों का ही उपयोग कर सकते हैं। कोई भी गलती बैलट को अमान्य कर सकती है।
इस चुनाव में लोकसभा के 542 सांसद, राज्यसभा के 233 निर्वाचित, और 12 मनोनीत सांसद यानी कुल 787 सांसद वोट देने के पात्र होते हैं। unlike राष्ट्रपति चुनाव, इसमें राज्यों के विधायक हिस्सा नहीं लेते।
जब मतों की गिनती होती है, तो पहले चरण में अगर कोई उम्मीदवार कोटे के बराबर वोट नहीं पाता, तो सबसे कम वोट पाने वाले को हटा दिया जाता है। फिर उसके वोट दूसरी प्राथमिकता के आधार पर अन्य प्रत्याशियों में ट्रांसफर किए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई एक उम्मीदवार तय संख्या में वोट न प्राप्त कर ले।
अब सवाल उठता है — उम्मीदवार कौन बन सकता है? किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए 20 सांसदों का प्रस्तावक और 20 सांसदों का समर्थन चाहिए होता है। इसके साथ ही उसे ₹15,000 की जमानत राशि भी जमा करनी होती है।
राष्ट्रपति चुनाव की तुलना में उपराष्ट्रपति चुनाव सरल लेकिन रणनीतिक होता है। इसमें केवल संसद के सदस्य ही भाग लेते हैं, जबकि राष्ट्रपति चुनाव में राज्य विधानसभा के सदस्य भी शामिल होते हैं।
अब देखना यह होगा कि एनडीए के पास संसद में बहुमत होने के बावजूद विपक्ष कैसे चुनौती पेश करता है। कौन होगा नया चेहरा? जवाब 9 सितंबर को सामने आएगा।