बांग्लादेश में हिंसा का तांडव: सूफी दरवेश की कब्र को जलाया, विपक्षी पार्टी के कार्यालय में आगजनी

बांग्लादेश में शुक्रवार को हिंसा की दो भयावह घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर दिया। एक ओर, उग्र इस्लामी भीड़ ने सूफी संत नूरा पगला की कब्र को अपवित्र कर उसका शव जला दिया, वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्टी के कार्यालय में आगजनी की घटना सामने आई।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 6 September 2025, 8:26 AM IST
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New Delhi: बांग्लादेश में शुक्रवार को दो भयावह हिंसा की घटनाओं ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इन घटनाओं ने एक ओर धार्मिक कट्टरपंथ और दूसरी ओर राजनीतिक प्रतिरोध की गहरी खाई को उभार दिया है। पश्चिमी राजबाड़ी जिले में उग्र इस्लामी भीड़ ने एक सूफी दरवेश की कब्र से उनका शव निकालकर उसे जला दिया, जबकि राजधानी ढाका में विपक्षी पार्टी के कार्यालय में आगजनी की घटना ने और ज्यादा तनाव पैदा कर दिया।

नूरा पगला की कब्र से शव जलाने की घटना

पुलिस और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पश्चिमी राजबाड़ी जिले में शुक्रवार की जुमे की नमाज के बाद एक समूह ने सूफी दरवेश नूरा पगला की कब्र से उनका शव निकालकर उसे जला दिया। नूरा पगला, जिनके अनुयायी एक सूफी इस्लामी नेता के रूप में उन्हें मानते थे, का निधन लगभग दो सप्ताह पहले हुआ था। उनके अनुयायी और कट्टरपंथी इस्लामी समूह के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। पुलिस की गाड़ियों और स्थानीय प्रशासन के प्रमुख की गाड़ी को भी हमलावरों ने आग के हवाले कर दिया।

बांग्लादेश में हिंसा का तांडव

अंतरिम सरकार का कड़ा बयान

घटना के बाद, बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बयान में इस हमले को 'अमानवीय और निंदनीय' बताया गया और यह आश्वासन दिया गया कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।

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विपक्षी पार्टी के कार्यालय में आगजनी

वहीं दूसरी घटना में, ढाका के पुराना पलटन इलाके में स्थित जातीय पार्टी (जेपी) के केंद्रीय कार्यालय में आग लगा दी गई। यह घटना उस समय हुई जब एक सप्ताह पहले गोनो अधिकार परिषद के नेता नूरुल हक नूर सेना और पुलिस की कार्रवाई में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। गोनो अधिकार परिषद, जो 'जुलाई विद्रोह' के समर्थन में है, ने 5 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को गिराने की कोशिश की थी।

सेना और पुलिस की कार्रवाई पर विवाद

गोनो अधिकार परिषद के कार्यकर्ताओं को लेकर एक और बड़ा विवाद सामने आया है। पिछले हफ्ते सेना और पुलिस ने परिषद के कार्यकर्ताओं को लाठी और बांस से खदेड़ा था। इस कार्रवाई को लेकर अंतरिम सरकार ने कहा था कि यह "निर्दयी कार्रवाई" थी और इसका उद्देश्य लोकतांत्रिक आंदोलन को कमजोर करना था।

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विपक्षी रैली और पुलिस की सख्ती

गोनो अधिकार परिषद के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को जेपी कार्यालय के पास रैली निकाली थी। पुलिस ने इन्हें तितर-बितर करने के लिए तीन साउंड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया और वाटर कैनन से पानी फेंका। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी और अन्य सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं ने भी रैली की थी।

आगजनी की घटना पर सरकार की चुप्पी

जहां एक ओर सरकार ने नूरा पगला की कब्र से शव जलाने की घटना को निंदनीय बताया, वहीं दूसरी ओर जेपी कार्यालय में आगजनी की घटना पर किसी भी प्रकार की सरकारी प्रतिक्रिया नहीं आई। हालांकि, सेना ने हिंसा के इलाके से दूरी बनाए रखी और सख्ती के बजाय स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की।

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