

रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से जारी युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। पुतिन ने चेतावनी दी कि समझदारी से बातचीत हो तो युद्ध रुक सकता है, वरना हथियारों से लक्ष्य पूरे होंगे।
पुतिन की चेतावनी से बढ़ी हलचल (Img: Google)
New Delhi: रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से जारी युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कई बार शांति बहाली की कोशिश की, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर यूक्रेन को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर समझदारी से काम लिया जाए तो यह युद्ध बातचीत के जरिए रोका जा सकता है, लेकिन अगर हालात नहीं बदले तो रूस अपने सभी उद्देश्यों को हथियारों की ताकत से पूरा करेगा।
पुतिन हाल ही में चीन दौरे पर गए थे। उन्होंने वहां एससीओ समिट में हिस्सा लिया और बाद में चीन की विक्ट्री परेड में भी शामिल हुए। इसी दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि रूस युद्ध को खत्म करना चाहता है और यह उनकी शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने माना कि अमेरिका, खासकर ट्रंप प्रशासन, इस युद्ध को समाप्त करने की ईमानदार कोशिश करता दिख रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध (Img: Google)
पुतिन ने कहा, 'अगर समझदारी के साथ कदम उठाए जाएं तो युद्ध रोका जा सकता है। हमें लगता है कि अमेरिका वास्तव में समाधान चाहता है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो हमें अपने लक्ष्यों को बलपूर्वक हासिल करना पड़ेगा।'
उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि रूस फिलहाल पीछे हटने के मूड में नहीं है और यूक्रेन को समझौते की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
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पुतिन ने अपने पुराने रुख को दोहराते हुए कहा कि यूक्रेन को नाटो में शामिल होने का विचार छोड़ना होगा और रूसी भाषी नागरिकों के साथ भेदभाव खत्म करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मिलने को तैयार हैं, लेकिन यह बैठक केवल मॉस्को में हो सकती है। साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि मीटिंग तभी होगी जब उसकी ठोस तैयारी हो और उससे वास्तविक परिणाम निकलें।
वहीं, यूक्रेन ने मॉस्को में बातचीत की संभावना से साफ इनकार कर दिया है। यूक्रेन के विदेश मंत्री एंड्री इवानोविच सिबिहा ने कहा कि मॉस्को को मीटिंग का स्थल बनाना सही फैसला नहीं होगा। उनका कहना है कि यदि वार्ता होनी है तो इसे किसी निष्पक्ष जगह पर आयोजित किया जाना चाहिए।
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विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन का बयान दोहरे संदेश देता है। एक तरफ वह बातचीत की पेशकश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ हथियारों के इस्तेमाल की धमकी भी दे रहे हैं। इससे साफ है कि रूस शांति चाहता है, लेकिन अपने शर्तों पर। वहीं यूक्रेन का रुख है कि वह किसी भी हाल में अपनी संप्रभुता और नाटो में शामिल होने की स्वतंत्रता से समझौता नहीं करेगा।