पाकिस्तान में होगा तख्तापलट, लगेगा राष्ट्रपति शासन? पढ़ें इनसाइट स्टोरी और इन अटकलों का सच

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन और राष्ट्रपति शासन लागू होने की अटकलें तेज हो गई हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, राष्ट्रपति जरदारी और सेना प्रमुख आसिम मुनीर की हालिया मुलाकातों ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। हालांकि, सरकार ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 16 July 2025, 3:39 PM IST
google-preferred

Islamabad: पाकिस्तान इन दिनों एक नए राजनीतिक संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है। सत्ता परिवर्तन और देश की मौजूदा संसदीय व्यवस्था की जगह राष्ट्रपति शासन लागू होने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। खासकर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के बीच हुई मुलाकातों ने इन अटकलों को और भी हवा दे दी है।

क्या होने जा रहा है पाकिस्तान में?

मंगलवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पहले राष्ट्रपति जरदारी और फिर सेना प्रमुख आसिम मुनीर से मुलाकात की। यह बैठकें उस वक्त हुई हैं जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है और आतंरिक अस्थिरता भी बढ़ रही है। इन बैठकों के बाद सोशल मीडिया और पाकिस्तानी मीडिया में चर्चा है कि आसिफ अली जरदारी को हटाकर जनरल आसिम मुनीर को राष्ट्रपति बनाया जा सकता है।

इतना ही नहीं, रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान में 27वां संविधान संशोधन लाकर देश की शासन प्रणाली में बड़ा बदलाव किया जा सकता है। संसदीय प्रणाली को हटाकर राष्ट्रपति शासन व्यवस्था लागू करने की चर्चा जोरों पर है।

Shahbaz Sharif (Source-Google)

शहबाज शरीफ (सोर्स-गूगल)

सरकार का इनकार, सेना की ‘राजनीति में रुचि नहीं’

इन सभी अटकलों पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बयान जारी कर सफाई दी है। उन्होंने कहा इन बैठकों में कुछ भी असामान्य नहीं है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सेना प्रमुख नियमित तौर पर सप्ताह में दो-तीन बार मिलते हैं और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि आसिम मुनीर एक वरिष्ठ फौजी अधिकारी हैं और उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है। वे पहले ही सर्वोच्च सैन्य पद पर आसीन हैं और उन्हें किसी अन्य भूमिका की जरूरत नहीं है।”

हालांकि, ख्वाजा आसिफ ने यह स्वीकार किया कि संविधान में संशोधन एक वैध विधायी प्रक्रिया है और भविष्य में यदि जरूरत पड़ी तो 27वां संशोधन किया जा सकता है, जैसा कि पहले भी कई संशोधन हो चुके हैं।

जनता और विपक्ष में बेचैनी

इन तमाम गतिविधियों से पाकिस्तान की जनता और विपक्ष में बेचैनी बढ़ती जा रही है। विपक्षी दलों का मानना है कि सत्ता के पीछे सेना की भूमिका हमेशा रही है और अब एक बार फिर से देश को प्रत्यक्ष सैन्य नियंत्रण या राष्ट्रपति शासन की ओर धकेला जा रहा है।

Location : 

Published :