

चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के दौरान सीमा शांति, द्विपक्षीय व्यापार और वैश्विक सहयोग जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण वार्ता हुई। यह दौरा भारत और चीन के बीच तनावों को कम कर, रिश्तों को नई दिशा देने की कोशिश का संकेत है।
एस जयशंकर और वांग यी
New Delhi: भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और राजनीतिक तनावों के बावजूद दोनों देश अपने संबंधों को पुनर्स्थापित करने के लिए नए प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की हालिया भारत यात्रा को बेहद अहम माना जा रहा है। नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर से मुलाकात के दौरान वांग यी ने स्पष्ट किया कि भारत और चीन को एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार के रूप में देखना चाहिए।
मुलाकात में ये रहा सबसे बड़ा मुद्दा
इस मुलाकात में सीमा शांति सबसे बड़ा मुद्दा रहा। डॉ. जयशंकर ने दोहराया कि भारत-चीन संबंधों की कोई भी प्रगति सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि सीमा पर यथास्थिति में बदलाव या उकसावे की कोई भी कार्रवाई रिश्तों में बाधा बन सकती है। इस पर वांग यी ने भी सहमति जताई और कहा कि संवाद और सहयोग बहाल करना समय की मांग है।
दोनों देशों ने स्वीकार किया कि गलवान घाटी की 2020 की झड़प के बाद रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। उस संघर्ष ने दोनों देशों के संबंधों को दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया था। हालांकि अब यह संकेत मिल रहा है कि दोनों नेतृत्व तनाव को पीछे छोड़कर क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सहयोग की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।
वार्ता में इस बात पर रहा विशेष ध्यान
इस वार्ता में व्यापार और द्विपक्षीय सहयोग पर भी विशेष ध्यान दिया गया। चीन भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, लेकिन व्यापार संतुलन बीजिंग के पक्ष में झुका हुआ है। जयशंकर ने नदी डेटा साझा करने, सीमा व्यापार को पुनः शुरू करने, संपर्क बढ़ाने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर चर्चा की। वांग यी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन मिलकर वैश्विक दक्षिण के विकासशील देशों के लिए एक सकारात्मक उदाहरण बन सकते हैं।
शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे
वांग यी की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी चीन यात्रा से ठीक पहले हुई है, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। सात वर्षों में यह मोदी की पहली चीन यात्रा होगी। एससीओ मंच भारत और चीन दोनों के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोध और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर संवाद का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
इस लिहाज से वांग यी की यात्रा केवल एक औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि भारत-चीन संबंधों को स्थिरता और नई दिशा देने की ओर एक ठोस कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बातचीत और संवाद की यह प्रक्रिया बनी रहती है, तो आने वाले वर्षों में दोनों देश वैश्विक नेतृत्व की नई मिसाल पेश कर सकते हैं।