नेपाल के बाद अब इस देश में भी तख्तापलट! सेना ने संभाली सत्ता, राष्ट्रपति लापता; पढ़ें पूरी खबर

पश्चिम अफ्रीका के छोटे लेकिन अस्थिर देश गिनी-बिसाऊ (Guinea-Bissau) में सेना ने अचानक सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया है। हाल ही में हुए विवादित चुनावों के बीच सैन्य अधिकारियों ने सरकार को हटाकर सीमाएं बंद कर दीं। राजधानी में भारी गोलीबारी हुई और राष्ट्रपति उमरो सिस्सोको एम्बालो लापता बताए जा रहे हैं।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 27 November 2025, 8:03 AM IST
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Guinea-Bissau: पश्चिम अफ्रीका का अस्थिर लेकिन राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण देश गिनी-बिसाऊ (Guinea-Bissau) एक बार फिर सैन्य हस्तक्षेप की आग में झुलस रहा है। बुधवार की दोपहर अचानक सेना ने घोषणा की कि उसने सरकार पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया है। यह सूचना मिलते ही राजधानी बिसाऊ में अफरा-तफरी मच गई और नागरिक सुरक्षा की तलाश में इधर-उधर भागते दिखे।

देश की सीमाएं सील

सेना ने देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं तत्‍काल प्रभाव से सील कर दी हैं और चुनावी प्रक्रिया को निलंबित कर दिया है। यह कदम हाल ही में हुए राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों के मात्र तीन दिनों बाद उठाया गया है, जिससे हालात और अधिक जटिल हो गए हैं।

राष्ट्रपति भवन के पास से शुरू हुई गोलीबारी

बुधवार दोपहर राष्ट्रपति भवन के पास अचानक भारी गोलीबारी शुरू हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सैन्यकर्मियों ने पलक झपकते ही इलाके की घेराबंदी कर दी और मुख्य सड़कों पर बैरिकेड्स लगा दिए। कई परिवार अपने घरों से सामान उठाकर सुरक्षित इलाकों की ओर भागते नजर आए। शहर की आवाजाही लगभग ठप हो चुकी है।

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राष्ट्रपति एम्बालो गायब

सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि मौजूदा राष्ट्रपति उमरो सिस्सोको एम्बालो का कोई पता नहीं चल पा रहा है। तख्तापलट के कई घंटों बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि वे सुरक्षित हैं या सेना की हिरासत में। राष्ट्रपति की गुमशुदगी ने राजनीतिक अनिश्चितता को कई गुना बढ़ा दिया है।

President Umaro Sissoko Embalo (Img: Google)

राष्ट्रपति उमरो सिस्सोको एम्बालो (Img: Google)

हालिया चुनावों में सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया था, जबकि आधिकारिक नतीजे अभी सामने आने थे। यह स्थिति 2019 के चुनावों की याद दिलाती है, जब परिणामों को लेकर महीनों विवाद चला था। इस बार भी चुनावी प्रक्रिया शुरुआत से ही संदेह के घेरे में थी।

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विश्लेषकों का कहना है कि देश के भीतर पहले से ही संस्थागत अविश्वास, सत्ता संघर्ष और राजनीतिक ध्रुवीकरण गहरी जड़ें जमा चुके थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्य विपक्षी पार्टी PAIGC को चुनाव लड़ने से रोक देना इस विवाद को और भड़काने वाला कदम माना गया। विपक्ष ने इसे राजनीतिक हस्तक्षेप करार दिया था। आलोचकों के अनुसार, राष्ट्रपति एम्बालो का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो चुका था, लेकिन उन्होंने पद छोड़ने से इनकार कर दिया, जिससे लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हुए।

पहले भी तख्तापलट झेल चुका है देश

गिनी-बिसाऊ में सैन्य तख्तापलट कोई नई बात नहीं। 1974 में आज़ादी के बाद से देश चार सफल तख्तापलट झेल चुका है। लगभग 20 लाख की आबादी वाला यह तटीय देश गरीबी, कमजोर शासन और अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी के कारण अक्सर अस्थिरता का केंद्र रहता है। हालांकि अब तक क्षेत्रीय संगठन ECOWAS, अफ्रीकी संघ या संयुक्त राष्ट्र की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लोगों के बीच दहशत का माहौल है और भविष्य को लेकर गहरी चिंता छा गई है।

Location : 
  • Guinea-Bissau

Published : 
  • 27 November 2025, 8:03 AM IST