

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद चौथे दिन भी हिंसक बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय अपीलों के बावजूद दोनों देशों की सेनाओं के बीच भारी गोलाबारी जारी है। खासकर ऐतिहासिक प्रीह विहेयर मंदिर को लेकर पुराना विवाद एक बार फिर सैन्य टकराव में बदल गया है। अमेरिका समेत कई देशों की शांति की कोशिशें अब तक नाकाम रही हैं और सीमा क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है।
थाइलैंड-कंबोडिया के बीच तनाव
New Delhi: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद गहराता जा रहा है। रविवार (27 जुलाई 2025) को लगातार चौथे दिन दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़पें जारी रहीं। अंतरराष्ट्रीय अपीलों के बावजूद युद्धविराम की कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है, जिससे सीमावर्ती इलाकों में तनाव और भय का माहौल बना हुआ है।
झड़प का चौथा दिन
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर चल रहे तनाव का आज चौथा दिन है, लेकिन दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। रविवार सुबह एक बार फिर सीमाई इलाकों में तोपों की आवाजें गूंज उठीं। AFP की रिपोर्ट के अनुसार, सीमा से लगभग 20 किलोमीटर दूर कंबोडिया का सम्रोंग शहर भी धमाकों की चपेट में आया, जिससे यह साफ है कि झड़पें सामान्य सीमा विवाद से कहीं ज्यादा गंभीर होती जा रही हैं।
सीजफायर की उम्मीदें हुईं कमजोर
शनिवार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि थाईलैंड और कंबोडिया जल्द ही युद्धविराम पर सहमत हो सकते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर बताया था कि थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फूमथम वेचायाचाई और कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट के बीच बातचीत हो चुकी है और सीजफायर जल्द लागू किया जा सकता है। लेकिन रविवार सुबह हुई भारी गोलाबारी ने इन दावों को झुठला दिया और यह दिखा दिया कि राजनीतिक प्रयासों और जमीनी सच्चाई में अब भी बहुत अंतर है।
आम जनता में भय का माहौल
लगातार हो रही गोलाबारी से सीमावर्ती इलाकों के लोग बेहद दहशत में हैं। कई गांव खाली कराए जा चुके हैं और लोग सुरक्षित इलाकों की ओर पलायन कर रहे हैं। स्कूलों, अस्पतालों और बाजारों को बंद कर दिया गया है। प्रशासनिक अधिकारी दोनों देशों में राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं, लेकिन बढ़ते तनाव के कारण हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।
क्या है विवाद की जड़?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा है, लेकिन असली विवाद उस ऐतिहासिक ‘प्रीह विहेयर मंदिर’ को लेकर है, जो 11वीं सदी में बना था और 2008 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया था। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने इस मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना था, लेकिन थाईलैंड ने इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया। उसी समय से यह इलाका विवाद का केंद्र बना हुआ है। पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह मंदिर रणनीतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जिससे विवाद और अधिक संवेदनशील हो गया है।
राजनीतिक और सैन्य प्रयास नाकाफी
सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के राजनयिक प्रयास जारी हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। अमेरिका, ASEAN और संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी दोनों देशों से संयम बरतने और शांति बहाल करने की अपील कर रही हैं। हालांकि, लगातार हो रही गोलीबारी और तोपों की आवाजों से यह संकेत मिलता है कि जमीन पर सीजफायर का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है।