

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अधिसूचित क्षेत्र में तेजी से फैल रही अवैध कॉलोनियों पर नियंत्रण के लिए बड़ा कदम उठाया है। भूमाफियाओं की मनमानी रोकने और आम नागरिकों को ठगी से बचाने के लिए स्टांप एवं निबंधन विभाग को छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री पर रोक लगाने की सिफारिश की गई है। यह फैसला क्षेत्र के मास्टरप्लान और भूमि उपयोग नियमों के अनुरूप विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का फैसला
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अवैध रूप से विकसित की जा रही कॉलोनियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए एक अहम निर्णय लिया है। प्राधिकरण ने स्टांप एवं निबंधन विभाग को पत्र भेजकर सिफारिश की है कि छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री पर तत्काल रोक लगाई जाए, जब तक भूमि का उपयोग खसरा खतौनी में दर्ज उद्देश्य के अनुरूप न हो। यह निर्णय उन मामलों को रोकने के लिए है, जहां कृषि भूमि को बिना अनुमति प्लॉटिंग कर बेचा जा रहा है।
264 गांवों में फैली अवैध प्लॉटिंग की समस्या
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में कुल 264 गांव आते हैं, जिनमें से 124 गांव फेस-1 और 140 गांव फेस-2 में शामिल हैं। इन क्षेत्रों में प्राधिकरण मास्टरप्लान के तहत औद्योगिक, आवासीय और संस्थागत सेक्टर विकसित कर रहा है। लेकिन कुछ किसान और भूमि मालिक भूमाफियाओं के साथ मिलकर नियमों को नजरअंदाज करते हुए खेती की जमीन पर अवैध प्लॉटिंग कर रहे हैं।
रजिस्ट्री रोकने का मकसद
प्राधिकरण के महाप्रबंधक (परियोजना) ए.के. सिंह द्वारा जारी पत्र में साफ कहा गया है कि भूमि का वास्तविक उपयोग दर्ज होने पर ही रजिस्ट्री की अनुमति दी जाए। इससे उन मासूम खरीदारों को सुरक्षा मिलेगी जो अक्सर दलालों के बहकावे में आकर अवैध जमीनों पर निवेश कर बैठते हैं। ऐसे मामलों में बाद में न सिर्फ निर्माण ध्वस्त किया जाता है, बल्कि खरीदारों की मेहनत की कमाई भी डूब जाती है।
बार-बार की गई कार्रवाई के बावजूद जारी है अवैध प्लॉटिंग
भले ही प्राधिकरण समय-समय पर अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर चला रहा है, लेकिन अवैध कॉलोनियों का फैलाव लगातार जारी है। खासकर ग्रेटर नोएडा और दादरी क्षेत्र में यह समस्या गंभीर बनी हुई है। यहां तक कि कई बैंक भी ऐसे भूखंडों पर लोन स्वीकृत कर देते हैं, जिससे इन कॉलोनियों को अप्रत्यक्ष रूप से वैधता मिल जाती है और समस्या और जटिल हो जाती है।
प्राधिकरण की सख्ती से होगा फायदा
यह निर्णय सिर्फ अवैध कॉलोनाइज़रों के लिए चेतावनी नहीं है, बल्कि आम जनता को भी कानूनी रूप से सुरक्षित निवेश करने की दिशा में मार्गदर्शन देता है। यदि रजिस्ट्री कार्यालय इस सिफारिश को गंभीरता से लागू करता है, तो आने वाले समय में अवैध कॉलोनियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी देखी जा सकती है। इससे न केवल शहर का सुव्यवस्थित विकास सुनिश्चित होगा, बल्कि प्रशासन और जनता दोनों का समय व संसाधन भी बचेगा।