भारतीय की पसंद ब्रिटिश व्हिस्की: भारत और ब्रिटेन के मुक्त व्यापार समझौते में अहम स्थान, एफटीए से होगा फायदा

भारत और ब्रिटेन के बीच हुए ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में एक महत्वपूर्ण उत्पाद का स्थान है- व्हिस्की। यह समझौता न केवल दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करेगा, बल्कि भारत के शराब बाजार में एक नई क्रांति ला सकता है। इस समझौते का प्रमुख आकर्षण स्कॉच व्हिस्की की कीमतों में आने वाली गिरावट है। जिससे भारतीय उपभोक्ताओं के लिए प्रीमियम और स्टैंडर्ड स्कॉच व्हिस्की और भी सुलभ हो जाएगी।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 27 July 2025, 7:24 AM IST
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New Delhi: भारत न केवल ब्रिटेन से बड़ी मात्रा में व्हिस्की आयात करता है, बल्कि अब यह ब्रिटिश व्हिस्की का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन चुका है। स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन और कन्फेडरेशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री (CBI) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल करीब 22 करोड़ लीटर से अधिक व्हिस्की की खपत होती है, जो इसे दुनिया में व्हिस्की की सबसे बड़ी खपत वाला देश बनाता है।

इस आंकड़े से यह साफ जाहिर होता है कि भारत में व्हिस्की का बाजार कितना विशाल है। खासकर ब्रिटिश ब्रांड्स की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत ब्रिटेन से लगभग 13,000 करोड़ रुपए की प्रीमियम और स्टैंडर्ड स्कॉच व्हिस्की का आयात करता है। इनमें प्रमुख नाम हैं जैसे जॉनी वॉकर, चिवास रीगल, बैलेनटाइंस, ग्लेनफिडिक और द मैकऐलन।

समझौते में हुई सहमति और इसके प्रभाव

भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते में सबसे बड़ा परिवर्तन स्कॉच व्हिस्की पर आयात शुल्क में कमी के रूप में देखने को मिलेगा। वर्तमान में भारत पर स्कॉच व्हिस्की पर 150% का आयात शुल्क है, जिसे चरणबद्ध रूप से घटाकर 75% या उससे कम करने पर सहमति बनी है। इससे भारतीय बाजार में स्कॉच व्हिस्की की खुदरा कीमतों में 10 से 30 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।

इसका मतलब यह है कि प्रीमियम व्हिस्की जैसे जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल, ग्लेनफिडिक, और चिवास रीगल अब आम ग्राहकों की पहुंच में आ सकती हैं। ऐसे में भारतीय उपभोक्ताओं के पास अधिक विकल्प होंगे, और वे उच्च गुणवत्ता वाली व्हिस्की को अपने बजट में फिट कर पाएंगे।

बिक्री और निर्यात में वृद्धि की संभावना

स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के अनुसार, इस शुल्क कटौती के साथ भारत में स्कॉच व्हिस्की की बिक्री में 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। इससे ब्रिटेन को भारतीय बाजार में अपने निर्यात लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। भारत जैसे विशाल बाजार में स्कॉच व्हिस्की की बढ़ती मांग, दोनों देशों के लिए आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद साबित हो सकती है।

दीर्घकालिक राजस्व में वृद्धि

भारत सरकार के केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अनुसार, शराब से भारत को हर साल 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर राजस्व प्राप्त होता है। इसमें विदेशी ब्रांड्स की एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। अब, जबकि व्हिस्की की कीमतों में गिरावट आएगी, हालांकि शुरुआती दौर में कर संग्रह में कुछ कमी हो सकती है, लेकिन इसके बाद मांग में वृद्धि होने से कुल बिक्री और राजस्व में दीर्घकालिक वृद्धि का अनुमान है।

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