

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से लगभग 40 मिनट तक अहम बैठक की। यह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन से पहले हुई मोदी की सात साल बाद पहली और शी के साथ दस महीनों में दूसरी मुलाकात है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बड़ी बैठक
New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन पहुंचे हैं, जहां उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से लगभग 40 मिनट तक अहम बैठक की। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पहले हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। यह मोदी का सात साल बाद चीन का पहला दौरा है और दस महीनों में शी जिनपिंग के साथ दूसरी मुलाकात है।
भारत और चीन के बीच कई सालों से सीमा विवाद का तनाव बना हुआ है। इस बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा विवाद को शांति और संवाद के जरिए हल करने पर सहमति जताई। इससे सीमा पर तनाव कम होगा, सैनिकों और आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, और सीमा के निकट बसे नागरिकों को शांति और सुरक्षा का माहौल मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को और सुगम और सुरक्षित बनाने के उपायों पर चर्चा की। इस धार्मिक यात्रा में आने-जाने के रास्ते बेहतर होंगे, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा और सुरक्षा मिलेगी। इससे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध भी मजबूत होंगे।
भारत और चीन के बीच हवाई संपर्क बढ़ाने पर सहमति बनी। इससे दोनों देशों के बीच अधिक सीधी उड़ानें शुरू हो सकेंगी। यात्रियों के लिए यात्रा का समय कम होगा, यात्रा अधिक सहज और किफायती होगी, और पर्यटन व व्यापार दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों ने साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, व्यापार में वृद्धि होगी, और दोनों देशों की आर्थिक प्रगति होगी, जो आम लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाएगी।
दोनों देशों ने एक-दूसरे की संवेदनशीलताओं का सम्मान करने और रिश्तों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। इससे द्विपक्षीय संबंध स्थिर रहेंगे, क्षेत्रीय शांति बनी रहेगी, और दोनों देशों के नागरिकों के बीच बेहतर समझ और सहयोग का वातावरण बनेगा।
यह बैठक ऐसे समय हुई है जब भारत-चीन संबंधों में कुछ नरमी आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है, जो भारत की विदेश नीति और आर्थिक स्थिति पर असर डाल रहा है।
साथ ही, 1 सितंबर को पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हो सकती है, जिससे भारत की वैश्विक रणनीति और मजबूती मिलेगी। भारत की विदेश नीति में संतुलन और सहयोग से देश की आर्थिक और सुरक्षा स्थिति मजबूत होगी, जो दीर्घकालीन विकास के लिए जरूरी है।