एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला का दिखा अनोखा रूप, स्पेस में की किसानी, पढ़ें पूरी खबर

लखनऊ के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर एक ऐतिहासिक प्रयोग किया, जिसमें उन्होंने मेथी और मूंग के बीज उगाए। इस प्रयोग का उद्देश्य यह जानना था कि माइक्रो ग्रैविटी में पौधों के विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है। शुभांशु इस मिशन के तहत अंतरिक्ष में जाने वाले 41 साल बाद दूसरे भारतीय हैं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 10 July 2025, 12:37 PM IST
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New Delhi: लखनऊ के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर एक अनोखा प्रयोग किया। उन्होंने पेट्री डिश में मेथी और मूंग के बीज उगाए। जिन्हें बाद में स्टोरेज फ्रीजर में सुरक्षित रखा गया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, इस प्रयोग का उद्देश्य यह जांचना था कि माइक्रो ग्रैविटी पौधों के विकास को कैसे प्रभावित करती है।

माइक्रो ग्रैविटी का पौधों के विकास पर प्रभाव

माइक्रो ग्रैविटी यानी भारहीनता में पौधों के विकास को लेकर एक्सपेरिमेंट किया गया। एक्सिओम स्पेस के बयान में कहा गया कि पृथ्वी पर लौटने के बाद इन बीजों को कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा, ताकि उनके जेनेटिक्स, DNA और पोषण संबंधी प्रोफाइल में होने वाले बदलावों का अध्ययन किया जा सके।

भारत के पहले गगनयात्री शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन

शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन, 26 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे थे। वे 41 साल बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में अंतरिक्ष यात्रा की थी। इस मिशन का उद्देश्य माइक्रो ग्रैविटी पर अनुसंधान करना था। जो भारतीय गगनयान मिशन के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।

“भारतीय वैज्ञानिकों के लिए नए रास्ते खुलेंगे”

शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम स्पेस के वैज्ञानिकों के साथ संवाद में कहा मुझे गर्व है कि मैं इस मिशन का हिस्सा हूं। इससे भारतीय वैज्ञानिकों को नई दिशा मिलेगी। इसके साथ ही इस मिशन से यह भी पता चलेगा कि क्या अंतरिक्ष में स्टेम सेल के अध्ययन से चोट की रिकवरी तेज होती है।

भारत का गगनयान मिशन

शुभांशु का अनुभव भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान, के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। गगनयान मिशन का उद्देश्य भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। यह मिशन 2027 में लॉन्च होने की संभावना है।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है, जहां एस्ट्रोनॉट्स माइक्रो ग्रेविटी में विभिन्न एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है और हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है।

भारत और इसरो की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया कदम

भारत और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के बीच हुए समझौते के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया। इस मिशन से भारत के गगनयान मिशन को कई लाभ हो सकते हैं, जिससे भारतीय वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव का लाभ मिलेगा।

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Published : 
  • 10 July 2025, 12:37 PM IST