

भारत-नेपाल सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) सतर्कता ने मानव तस्करी के एक बड़े प्रयास को समय रहते विफल कर दिया। नेपालगंज से रुपईडीहा सीमा पर पहुंची पांच नेपाली नाबालिग लड़कियों को संदेह के आधार पर रोका गया।
बचाई गई लड़कियां
बहराइच: भारत-नेपाल सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) सतर्कता ने मानव तस्करी के एक बड़े प्रयास को समय रहते विफल कर दिया। नेपालगंज से रुपईडीहा सीमा पर पहुंची पांच नेपाली नाबालिग लड़कियों को संदेह के आधार पर रोका गया। पूछताछ में सामने आया कि एक एजेंट उन्हें लखनऊ होते हुए दिल्ली और फिर वहां से कुवैत भेजने की तैयारी में था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एसएसबी की बी कंपनी के जवानों ने गुरुवार को सीमा पार कर भारत में प्रवेश कर रहीं इन लड़कियों को रोका। मौके पर मौजूद कार्यकर्ता अर्जुन कुमार और देशराज वर्मा ने भी उनकी गतिविधियों पर संदेह जताते हुए पूछताछ शुरू की।
गहनता से जांच के लिए सहायक उप निरीक्षक मदन मोहन, महिला कांस्टेबल दीक्षा देवी, साविता गौर, साविता दास और परमार सुमित्रा बेन ने लड़कियों को कैंप के भीतर ले जाकर अलग-अलग पूछताछ की। पूछताछ में यह बात सामने आई कि लड़कियों को दिल्ली में एक मानव तस्कर के पास ले जाया जाना था, जहां से उन्हें अवैध रूप से कुवैत भेजे जाने की योजना थी।
इनमें शामिल लड़कियों ने जो फोन नंबर अपने परिजनों का बताया, उन नंबरों पर संपर्क नहीं हो सका, जिससे उनके जबरन तस्करी किए जाने की आशंका और गहरा गई।
पकड़ी गई लड़कियों की पहचान इस प्रकार हुई
सुन पुन मगर (17), पुत्री मान बहादुर मगर, जिला नवलपरासी
दिल कुमारी घर्ती मगर (17), पुत्री तुकमन घर्ती मगर, जिला रोल्पा
संगीता तामांग (16), पुत्री गोसाई तामांग, जिला रसुवा
पासांग डुल्मो तामांग (15), पुत्री छेसाड तामांग, जिला रसुवा
सुषमा रसाइली (16), पुत्री कृष्ण बहादुर रसाइली, जिला सिंधुपालचौक
सभी नेपाल की निवासी हैं और नाबालिग बताई जा रही हैं।
एसएसबी के सहायक कमांडेंट अभिषेक कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि सभी लड़कियों को मानव सेवा संस्थान और एसएसबी की मौजूदगी में मानव तस्करी रोधी इकाई की टीम और नेपाली पुलिस के सहयोग से नेपाल स्थित "शांति पुनर्स्थापना केंद्र" नामक एनजीओ के सुपुर्द कर दिया गया है।
इस कार्रवाई से एक बार फिर भारत-नेपाल सीमा पर सक्रिय मानव तस्करी नेटवर्क की गंभीरता उजागर हुई है। सीमा सुरक्षा बल और समाजसेवी संस्थाओं की तत्परता से इन लड़कियों को एक गंभीर खतरे से बचाया जा सका।