

प्रीमैच्योर ओवेरियन इन्सफीशियन्सी (POI), जिसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज भी कहा जाता है, महिलाओं में एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें अंडाशय सामान्य उम्र से पहले काम करना बंद कर देते हैं। यह स्थिति महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती है और मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। POI से पीड़ित महिलाएं भावनात्मक अस्थिरता, डिप्रेशन, एंग्जायटी और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर सकती हैं।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स-गूगल)
New Delhi: प्रीमैच्योर मेनोपॉज यानी प्रीमैच्योर ओवेरियन इन्सफीशियन्सी (POI) महिलाओं की एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें अंडाशय सामान्य उम्र से पहले ही काम करना बंद कर देते हैं। इस स्थिति में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है, जिससे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है।
क्या है प्रीमैच्योर ओवेरियन इन्सफीशियन्सी?
प्रीमैच्योर ओवेरियन इन्सफीशियन्सी वह स्थिति है जब महिला के अंडाशय 40 वर्ष से पहले सामान्य कार्य करना बंद कर देते हैं। इससे प्रजनन क्षमता कम हो जाती है और शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी हो जाती है, जिससे हॉट फ्लैशेज़, अनियमित पीरियड्स और भावनात्मक अस्थिरता जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा बढ़ता है
हाल ही में मेनोपॉज नामक जर्नल में प्रकाशित एक ऑनलाइन स्टडी में इस बात की पुष्टि हुई है कि POI से पीड़ित महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा काफी अधिक होता है। अध्ययन में बताया गया कि कम उम्र में बीमारी का पता लगना, गंभीर लक्षणों का अनुभव, इमोशनल सपोर्ट की कमी और मातृत्व की संभावना खत्म होना मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जायटी (सोर्स-गूगल)
स्टडी की मुख्य बातें
स्टडी में 345 महिलाओं को शामिल किया गया जो POI से ग्रसित थीं।
इनमें से लगभग 29.9% महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण देखे गए।
आश्चर्यजनक रूप से, हार्मोन थेरेपी लेने और न लेने वाली महिलाओं के डिप्रेशन लेवल में कोई खास फर्क नहीं पाया गया।
हार्मोन थेरेपी कितना असरदार?
मेनोपॉज सोसाइटी की एसोसिएट बताती हैं कि हार्मोन थेरेपी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजन से कुछ शारीरिक लक्षणों में जरूर राहत मिलती है, लेकिन यह डिप्रेशन के इलाज का प्राथमिक विकल्प नहीं हो सकती। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य का इलाज अलग से करना जरूरी है।
महिलाओं को क्या करना चाहिए?
1. नियमित जांच कराते रहें: ताकि मानसिक और शारीरिक स्थिति को समय रहते समझा जा सके।
2. काउंसलिंग या थेरेपी लें: विशेष रूप से अगर मानसिक लक्षण महसूस हो रहे हों।
3. परिवार और पार्टनर का सहयोग बेहद जरूरी है: इमोशनल सपोर्ट इस स्थिति में बड़ी भूमिका निभाता है।
4. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: योग, व्यायाम और संतुलित खानपान हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है और इसका उद्देश्य किसी चिकित्सा सलाह या उपचार को बदलना नहीं है। आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें