

महिला का आरोप है कि जब उसने अपनी फरियाद लेकर पुलिस से मदद मांगी तो थाना के हलका इंचार्ज दरोगा ने उसे थप्पड़ मार दिया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
दरोगा ने महिला को मारा थप्पड़
फर्रुखाबाद: जिले के राजेपुर थाना क्षेत्र से एक शर्मनाक घटना सामने आई है। जिसमें एक महिला पीड़िता न्याय की उम्मीद लेकर पुलिस के पास पहुंची, लेकिन उसे वहां से उम्मीद के बजाय अपमान और उत्पीड़न मिला। महिला का आरोप है कि जब उसने अपनी फरियाद लेकर पुलिस से मदद मांगी तो थाना के हलका इंचार्ज दरोगा ने उसे थप्पड़ मार दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता से मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना महिला सशक्तिकरण की वास्तविकता को उजागर करती है, जहां महिलाओं को न्याय के बजाय अपमान का सामना करना पड़ता है।
पैसे की मांग और पुलिस द्वारा उत्पीड़न
पीड़िता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उससे पैसे की मांग की। जब महिला ने इसका विरोध किया, तो दरोगा ने उसे थप्पड़ मारा और चुप रहने का दबाव डाला। यह घटना महिलाओं के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न को और भी गंभीर बना देती है, क्योंकि न्याय की उम्मीद से पुलिस के पास जाने वाली महिला को वहां से शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न मिला।
पुलिसकर्मियों का मौका देखकर भाग जाना
इतना ही नहीं, महिला के अनुसार पुलिसकर्मी अपनी कार में बैठकर मौके से भाग गए ताकि किसी को उनकी शर्मनाक हरकत का पता न चले और मामला बाहर न आ पाए। यह पुलिस का व्यवहार न्याय और कानून की अवहेलना को दर्शाता है। जहां उन पर विश्वास करने वाली पीड़िता को ही प्रताड़ित किया गया।
महिला सशक्तिकरण और पुलिस व्यवस्था पर सवाल
यह घटना उस समय हुई है, जब सरकार महिला सशक्तिकरण के नाम पर तमाम योजनाओं का प्रचार कर रही है। "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" जैसे अभियान भी चलाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर @fatehgarhpolice और @Uppolice के ट्विटर हैंडल से महिला सुरक्षा के पोस्ट और जागरूकता की तस्वीरें साझा की जाती हैं, लेकिन असल में जब एक महिला न्याय की मांग करने पहुंची तो उसे पुलिस से थप्पड़ और अपमान मिला।
क्या यही है महिला सशक्तिकरण?
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यही महिला सशक्तिकरण की असली तस्वीर है? क्या इस तरह के व्यवहार को हम महिला सुरक्षा का उदाहरण मान सकते हैं? क्या महिलाओं के अधिकारों और उनके सम्मान को इस तरह से कुचला जा सकता है? यह घटना सिर्फ फर्रुखाबाद या प्रदेश की पुलिस व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे देश की कानून व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े करती है।