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जिले में 16 साल के आरव मिश्रा ने मानसिक बीमारी ‘सीजोफ्रेनिया’ से जूझते हुए आत्महत्या कर ली। पुलिस जांच में सामने आया कि आरव ने अपनी बीमारी को लेकर 60 से अधिक बार गूगल पर जानकारी खोजी थी। घटना ने परिवार को सदमे में डाल दिया।
कानपुर पोस्टमार्टम हाउस
Kanpur: कानपुर के कोहना थाना क्षेत्र में रहने वाले दवा कारोबारी आलोक मिश्रा के इकलौते बेटे आरव मिश्रा (16) की आत्महत्या ने पूरे शहर को झकझोर दिया है। सोमवार को घर में फंदा लगाकर जान देने वाले इस होनहार छात्र की मौत के बाद परिवार में कोहराम मच गया। पोस्टमार्टम के बाद जब शव घर पहुंचा तो मां दिव्या मिश्रा की चीखें सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। “अरे हम क्यों चले गए तुम्हें अकेला छोड़कर, लौट आओ…” बिलखती मां की यह पुकार पूरे माहौल को शोकमग्न कर गई।
पुलिस जांच में सामने आया कि आरव पिछले एक साल से सीजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारी से परेशान था। थाना प्रभारी विनय तिवारी के मुताबिक, उसने अपने मोबाइल से 60-65 बार इस बीमारी के लक्षण गूगल पर सर्च किए। वह अपनी स्थिति समझने की कोशिश कर रहा था लेकिन इलाज के लिए किसी से खुलकर बात नहीं की। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरव अपनी परेशानी को खुद ही समझना चाहता था, लेकिन वह धीरे-धीरे मानसिक तनाव में डूबता चला गया।
फॉरेंसिक टीम को आरव की जेब से एक पर्ची और मोबाइल मिला। मोबाइल के नोटपैड में लिखा था कि चेहरे कहते हैं कि खुद जान दे दो या मां-बाप और बहन को मार दो। यह नोट पढ़कर पुलिस और परिवार दोनों सन्न रह गए। इससे साफ है कि आरव मतिभ्रम की स्थिति में था, यानी उसे वे चीजें दिखती और आवाजें सुनाई देती थीं जो हकीकत में मौजूद नहीं थीं। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि उसने आखिरी बार किस वेबसाइट पर क्या सर्च किया था।
घटना के दिन माता-पिता भागलपुर में छठ पूजा के लिए गए हुए थे, जबकि बहन मान्या कोचिंग गई थी। घर में सिर्फ आरव और दादी नीलम मिश्रा मौजूद थीं। शाम करीब 4:30 बजे दादी ने आरव को आवाज दी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। कई बार पुकारने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो पड़ोसी परमिंदर चंद्रा को बुलाया गया। दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर आरव का शव पंखे से लटका मिला। दादी यह दृश्य देखकर गश खाकर गिर पड़ीं।
परिजनों के अनुसार, आरव बेहद प्रतिभाशाली छात्र था। उसने कक्षा 10वीं में 97 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और स्टेट लेवल स्विमिंग प्रतियोगिता में भी भाग लिया था। वह द जैन इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 11 का छात्र था। परिवार का कहना है कि आरव अक्सर पढ़ाई और खेल दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करता था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से वह अकेलापन और तनाव महसूस करने लगा था।
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आरव के सहपाठियों और शिक्षकों के मुताबिक, उसने कभी किसी को अपनी परेशानी नहीं बताई। वह सामान्य दिखने की कोशिश करता था लेकिन अंदर ही अंदर टूट रहा था। उसकी बहन मान्या ने दीपावली पर बताया था कि आरव ने उसे सुसाइड नोट में लिखी कुछ बातें बताई थीं लेकिन परिवार ने सोचा कि यह सिर्फ भावनात्मक तनाव है और गंभीर नहीं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय चौधरी ने बताया कि सीजोफ्रेनिया में मस्तिष्क के डोपामीन न्यूरोकेमिकल का संतुलन बिगड़ जाता है। मरीज को आवाजें सुनाई देने लगती हैं जो उसे किसी काम को करने के आदेश देती हैं। डॉ. चौधरी के अनुसार, शुरुआती लक्षणों में व्यक्ति दूसरों से कटने लगता है, बातचीत बंद कर देता है और अकेले रहना पसंद करता है।