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सुकमा-आंध्र प्रदेश बॉर्डर पर सोमवार सुबह सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में कुख्यात नक्सली हिडमा, उसकी पत्नी राजे और डीकेएसजीसी मेंबर शंकर समेत छह उग्रवादी मारे गए। ग्रेहाउंड्स का सर्च ऑपरेशन जारी है और आसपास के जंगलों में कंबिंग तेज कर दी गई है।
कुख्यात नक्सली हिड़मा पत्नी संग ढेर
Raipur: छत्तीसगढ़ में नक्सल सफाई अभियान लगातार तेज होता जा रहा है। इसी कड़ी में सुकमा-आंध्र प्रदेश बॉर्डर से बड़ी खबर आई, जहां सुरक्षाबलों ने माओवादियों पर निर्णायक कार्रवाई करते हुए खूंखार और करोड़ों के इनामी नक्सली हिडमा को ढेर कर दिया। बताया जा रहा है कि इस मुठभेड़ में हिडमा के साथ उसकी पत्नी राजे भी मारी गई। दोनों लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल थे।
मुठभेड़ आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मारेडुमिली क्षेत्र में हुई, जो छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर घने जंगलों से घिरा इलाका है। आंध्र प्रदेश के खतरनाक माने जाने वाले ग्रेहाउंड कमांडो लगातार इस इलाके में सर्चिंग अभियान चला रहे थे।
जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह 6 बजे से 7 बजे के बीच दोनों ओर से कई राउंड गोलियां चलीं। माओवादी पहले से ही इन जंगलों में छिपे हुए थे, लेकिन सुरक्षा बलों की सर्चिंग के दौरान उनकी लोकेशन ट्रैक कर ली गई। इसके बाद जवानों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया और मुठभेड़ शुरू हो गई।
मारेडुमिली इलाके में करीब एक घंटे तक चली फायरिंग के बाद छह माओवादी मारे जाने की पुष्टि हुई है। इनमें से एक शीर्ष माओवादी नेता होने की सूचना है, जिसकी पहचान बाद में हिडमा के रूप में सामने आई। यही नहीं, उसका करीबी और डीकेएसजीसी (DKSGC) मेंबर माओवादी शंकर भी मार गिराया गया।
सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से भारी मात्रा में हथियार, विस्फोटक और नक्सली सामग्री बरामद की है। जंगल में अभी भी कई माओवादी छिपे होने की आशंका के चलते कंबिंग ऑपरेशन तेज कर दिया गया है।
सुकमा–आंध्र बॉर्डर पर बड़ा नक्सल ऑपरेशन (सोर्स- गूगल)
हिड़मा को नक्सली संगठन का सबसे खूनी और खतरनाक चेहरा माना जाता था। वह बस्तर क्षेत्र में सीपीआई (माओवादी) के प्लाटून नंबर 1 का प्रभारी था और कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा है।
उस पर सुरक्षा बलों, नेताओं और नागरिकों पर हमलों समेत कई बड़े मामलों में इनाम घोषित था। माना जाता है कि हिडमा के आतंक के कारण कई वर्षों से सुरक्षा बलों को इस इलाके के भीतर गहराई से अभियान चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
सुरक्षा बलों द्वारा लगातार अभियान तेज किए जाने के पीछे एक प्रमुख कारण यह था कि पिछले कुछ महीनों में नक्सल गतिविधियों में दोबारा वृद्धि देखी गई थी। आंध्र-छत्तीसगढ़-ओडिशा के त्रिकोणीय जंगल क्षेत्रों में माओवादियों की नई हलचल ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया था।
छत्तीसगढ़ के डीजीपी हरीश कुमार गुप्ता पूरी स्थिति पर निगरानी बनाए हुए हैं। उन्होंने बताया कि अभियान को और भी सघन बनाया गया है और किसी भी हाल में नक्सलियों को फिर से जमे रहने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने जवानों की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि यह नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी उपलब्धि है।