

एच1बी वीजा फीस में बढ़ोतरी और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते रुपया 88.53 प्रति डॉलर के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया। कमजोर रुपये का असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा इंपोर्टेड सामान, तेल और गोल्ड महंगे होंगे।
डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ा रुपया
New Delhi: भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मंगलवार को अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन, शुरुआती ट्रेडिंग में रुपया 25 पैसे टूटकर 88.53 पर आ गया। यह गिरावट एच1बी वीजा फीस में बढ़ोतरी और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली जैसे कई वैश्विक और घरेलू कारणों के चलते आई है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में मंगलवार को रुपया 88.41 पर खुला, लेकिन जल्दी ही यह 88.53 पर आ गया, जो सोमवार के 88.28 के बंद भाव से 25 पैसे कमजोर है। सोमवार को भी रुपये में 12 पैसे की गिरावट दर्ज की गई थी। यह दर्शाता है कि भारतीय मुद्रा लगातार दबाव में है और वैश्विक घटनाक्रम इसका मुख्य कारण बनते जा रहे हैं।
डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ा रुपया
हालांकि डॉलर इंडेक्स मंगलवार को 0.03% गिरकर 97.30 पर आ गया, लेकिन कुल मिलाकर डॉलर अभी भी दुनिया की प्रमुख करेंसीज़ के मुकाबले मजबूत बना हुआ है। डॉलर की मजबूती का सीधा असर उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर पड़ता है और भारत इसमें कोई अपवाद नहीं है।
Dollar VS Rupee: डॉलर के सामने दिन-ब-दिन फिसल रहा रुपया, सामने आई गिरावट की चौंकाने वाली वजह
बाजार की शुरुआत मंगलवार को मिली-जुली रही। बीएसई सेंसेक्स में शुरुआती घंटों में लगभग 100 अंकों की तेजी देखी गई जबकि एनएसई निफ्टी 24,250 के आसपास कारोबार करता दिखा। ऑटो सेक्टर खासतौर पर मारुति के शेयरों में लगभग 2% की तेजी देखी गई, जबकि आईटी शेयरों पर दबाव देखने को मिला। FII ने सोमवार को भारतीय शेयर बाजार से ₹2,910.09 करोड़ की निकासी की। यह लगातार बिकवाली यह दर्शाती है कि विदेशी निवेशक फिलहाल भारत में निवेश को लेकर सतर्क हैं।
ब्रेंट क्रूड की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली और यह 0.62% टूटकर 66.16 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। यह गिरावट रुपये के लिए थोड़ी राहत की खबर हो सकती है, लेकिन कुल मिलाकर रुपये की कमजोरी तेल के आयात को महंगा बना देती है।
भारतीय रुपया लगातार चौथे दिन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद
रुपये की गिरावट का सबसे बड़ा असर आम लोगों पर पड़ता है। भारत अपनी जरूरत का अधिकतर कच्चा तेल आयात करता है, और जब रुपया कमजोर होता है, तो तेल खरीदना महंगा पड़ता है। इसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ता है, जिससे ट्रांसपोर्ट और अन्य जरूरी सेवाओं की लागत भी बढ़ती है। इसके अलावा विदेश से आने वाले उत्पाद जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और मशीनरी की कीमतों में भी इज़ाफा होता है। जो छात्र विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं या जाने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए फीस और रहने का खर्च अचानक बढ़ जाएगा।