

आरबीआई ने रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा है। GDP वृद्धि दर को 6.8% तक बढ़ाया गया है। मुद्रास्फीति में कमी और मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार के बीच केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति का तटस्थ रुख अपनाया है।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक का फैसला (सोर्स- इंटरनेट)
New Delhi: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपने तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट को यथावत 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। यह निर्णय केंद्रीय बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषित किया। उन्होंने बताया कि मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ (Neutral) रखा गया है, जिससे आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार दरों में लचीलापन बनाए रखा जाएगा।
आरबीआई ने अपने आर्थिक अनुमान में सुधार करते हुए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। यह संकेत देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का है, खासकर उन चुनौतियों के बावजूद जो अमेरिका के उच्च टैरिफ नीति के कारण उत्पन्न हुई हैं।
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केंद्रीय बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 3.1 प्रतिशत से 2.6 प्रतिशत कर दिया है। गवर्नर ने यह स्पष्ट किया कि रेपो रेट स्थिर रहने से आवास, वाहन और अन्य खुदरा ऋणों की ब्याज दरों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा।
इस साल फरवरी से जून के बीच आरबीआई ने कुल 1 प्रतिशत की कटौती की है, जिससे नए ऋणों की लागत में लगभग 0.58 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे उधार लेना सस्ता हुआ है।
सोर्स- इंटरनेट
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वर्तमान में 700.2 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो लगभग 11 महीने के आयात के बराबर है। यह मुद्रा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता का बड़ा संकेत है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधियों में तेजी बने रहने की उम्मीद जताई गई है।
गवर्नर मल्होत्रा ने माना कि वैश्विक स्तर पर चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन बेहतर मानसून, जीएसटी दरों में कटौती और नीतिगत उपायों के कारण मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी और आर्थिक वृद्धि को मजबूती मिलेगी।
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कम महंगाई और मौद्रिक नरमी से निवेश और उपभोग दोनों में वृद्धि की उम्मीद है। केंद्रीय बैंक इस स्थिति को “वेट एंड वॉच” मोड में रखते हुए अर्थव्यवस्था की दिशा और वैश्विक हालात पर नजर रखेगा।
आरबीआई ने संकेत दिया है कि वह आर्थिक विकास को बनाए रखने और मुद्रास्फीति नियंत्रण के बीच संतुलन साधने के लिए सतर्क रहेगा। आवश्यकतानुसार, भविष्य में मौद्रिक नीति में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे।