

त्रिपुरा सरकार ने राज्य के 1 लाख से अधिक कर्मचारियों और 84,000 पेंशनभोगियों को राहत देते हुए महंगाई भत्ता और राहत में 3% की वृद्धि का ऐलान किया है। यह बढ़ोतरी 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगी।
पेंशनभोगियों को राहत
Tripura: सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को दुर्गापूजा से पहले बड़ी राहत देते हुए महंगाई भत्ता (Dearness Allowance - DA) और महंगाई राहत (Dearness Relief - DR) में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मानिक साहा ने 13वीं विधानसभा के अंतिम सत्र के समापन पर यह घोषणा की। यह बढ़ोतरी 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होगी।
सरकार के इस फैसले से राज्य के 1 लाख से अधिक कर्मचारियों और करीब 84,000 पेंशनभोगियों को सीधा लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री साहा ने कहा कि यह निर्णय राज्य सरकार की "जनता की सरकार" होने के दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सातवां वेतन आयोग 1 अक्टूबर 2018 से राज्य में लागू किया गया था और तभी से वेतन और पेंशन की निरंतर समीक्षा की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमारी सरकार लोगों की भलाई को सर्वोपरि मानती है। डीए और डीआर में यह बढ़ोतरी राज्य के खजाने पर ₹25 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार डालेगी, लेकिन हम इसे जनता की सुविधा और खुशी के लिए उठाने को तैयार हैं।'
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
इससे पहले, मार्च 2025 में भी त्रिपुरा सरकार ने डीए और डीआर में 3% की वृद्धि की थी। वहीं, जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 2% डीए की घोषणा की थी, जिसके बाद केंद्र के कर्मचारियों का डीए 55% हो गया था। अब त्रिपुरा में कुल 33% डीए-डीआर हो गया है, लेकिन केंद्र और राज्य के डीए में अभी भी लगभग 19% का अंतर बना हुआ है।
कर्मचारियों और पेंशनभोगियों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह त्योहारों से पहले सरकार की ओर से बहुत ही सकारात्मक कदम है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें अब उम्मीद है कि दिवाली के आसपास केंद्र सरकार भी डीए बढ़ोतरी का ऐलान करेगी, जो परंपरागत रूप से जुलाई से लागू मानी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे दुर्गापूजा, दिवाली और अन्य त्योहारों को शांति और प्रसन्नता के साथ मनाएं। उन्होंने यह भी बताया कि 2018 के बाद से अब तक राज्य सरकार छह अलग-अलग किस्तों में कर्मचारियों और पेंशनरों को कुल 33% डीए और डीआर दे चुकी है। इस बार की 3% वृद्धि सातवीं किस्त के रूप में दी जा रही है।
सरकारी कर्मचारियों की यूनियनों ने कहा है कि यह फैसला निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन केंद्र और राज्य के बीच डीए अंतर को धीरे-धीरे खत्म करने की दिशा में और भी प्रयास किए जाने चाहिए।