सिद्धार्थनगर में विकास ठप! विधायक विनय वर्मा का PWD अफसरों पर बड़ा वार, मांगा तत्काल एक्शन

सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ से अपना दल (एस) विधायक विनय वर्मा ने पीडब्ल्यूडी के अफसरों पर काम में लापरवाही का आरोप लगाते हुए सात अहम मुद्दे उठाए हैं। एक अधिकारी का तबादला तो हुआ, मगर बाकी विकास कार्य फाइलों में अटके हैं।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 5 November 2025, 2:04 PM IST
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Siddharthnagar: यूपी के सिद्धार्थनगर ज़िले के शोहरतगढ़ से अपना दल (एस) के विधायक विनय वर्मा ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अफसरों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने बस्ती मंडल के मुख्य अभियंता को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि विभाग के अधिकारी काम में लापरवाही बरत रहे हैं, जिसके कारण क्षेत्र के विकास कार्य ठप पड़े हैं। वर्मा का कहना है कि क्षेत्र की सड़कों की स्थिति दयनीय है, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता बेहद खराब है, और मॉनिटरिंग का कोई सिस्टम नहीं दिख रहा। पत्र में उन्होंने लिखा कि प्रांतीय खंड के सहायक अभियंता की कार्यशैली “बेहद असंतोषजनक” है और तत्काल स्थानांतरण आवश्यक है।

विधायक ने उठाए सात अहम मुद्दे

अपने पत्र में विधायक ने विभाग की लापरवाही और अनियमितता की पोल खोलते हुए सात प्रमुख मांगें रखीं
1. विधानसभा क्षेत्र के तहत वर्ष 2025–26 में स्वीकृत व लंबित निर्माण प्रस्तावों की सूची उपलब्ध कराई जाए।
2. ओपन बाईपास, पलटा देवी मार्ग और भिरण्डा रोड के एस्टीमेट की स्थिति स्पष्ट की जाए।
3. शोहरतगढ़ गैंगहट और तहसील क्षेत्र के पास खाली जमीन पर गेस्ट हाउस का निर्माण कराया जाए।

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4. चिल्हिया-परौवा-बर्डपुर मार्ग की जर्जर हालत को देखते हुए तत्काल मरम्मत कराई जाए।
5. एनएच-730 (जो एनएचएआई में नहीं है) की बाईपास सड़क की मरम्मत सुनिश्चित की जाए।
6. शोहरतगढ़ पलटा देवी मार्ग पर चोड़ार ग्राम के पास पोखरी किनारे कट रही सड़क पर रिटेनिंग वॉल बनाई जाए।
7. सहायक अभियंता का तत्काल स्थानांतरण किया जाए।

विकास ठप, जनता परेशान

विधायक वर्मा ने पत्र में यह भी लिखा है कि इन सड़कों की स्थिति ऐसी है कि स्थानीय लोग दैनिक आवाजाही में परेशान हैं। बरसात के मौसम में कीचड़ और गड्ढों की वजह से वाहन फंस जाते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार विकास को लेकर गंभीर है, तो विभागीय अफसर आखिर किसके इशारे पर सुस्त पड़े हैं?

विधायक ने कहा कि मेरा मकसद किसी को निशाना बनाना नहीं, बल्कि जनता की समस्या को उठाना है। अगर अधिकारी समय पर काम करें, तो जनता को राहत मिले।

केवल एक पर हुई कार्रवाई

पत्र में उठाए गए सात बिंदुओं में से सिर्फ एक पर कार्रवाई हुई सहायक अभियंता का स्थानांतरण। बाकी छह बिंदु अभी भी “कागज़ों में दबे पड़े” हैं। न तो मरम्मत शुरू हुई है, न एस्टीमेट फाइनल हुआ और न ही नई परियोजनाओं पर कोई प्रगति। स्थानीय लोगों का कहना है कि विधायक के पत्र के बाद कुछ सर्वे ज़रूर हुए, लेकिन मैदान में काम का असर नहीं दिखा। कई जगह सड़कें अब भी टूटी हुई हैं और निर्माण प्रस्ताव विभागीय टेबलों पर घूम रहे हैं।

अफसरशाही बनाम जनप्रतिनिधि

इस पूरे विवाद ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच रिश्ते पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब सत्ताधारी दल का विधायक ही अफसरों की अनसुनी की शिकायत करे, तो यह प्रशासनिक जवाबदेही पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला “अफसरशाही के बढ़ते दबदबे और सिस्टम की सुस्ती” को उजागर करता है। जनता की नजर अब इस बात पर है कि क्या मुख्य अभियंता बाकी छह बिंदुओं पर भी कार्रवाई करेंगे या फिर मामला पुराने ढर्रे पर चलता रहेगा।

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सिस्टम की परीक्षा का वक्त

विनय वर्मा की यह चिट्ठी सिर्फ शिकायत नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुस्ती पर सीधा वार है। अब सवाल यही है, क्या विभाग सुधार की दिशा में कदम बढ़ाएगा या फिर सिस्टम का अहंकार एक बार फिर जनता और जनप्रतिनिधि की आवाज को दबा देगा?

Location : 
  • Siddharthnagar

Published : 
  • 5 November 2025, 2:04 PM IST