राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला: वरिष्ठ IAS कृष्णकांत पाठक की केंद्र प्रतिनियुक्ति पर ब्रेक

राजस्थान सरकार ने वरिष्ठ आईएएस कृष्णकांत पाठक की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए दी गई एनओसी वापस ले ली है। यह कदम राज्य की प्राथमिकताओं को केंद्र से ऊपर रखने और नौकरशाही पर नियंत्रण के संकेत देता है।

Updated : 13 September 2025, 3:35 PM IST
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Jaipur: राजस्थान सरकार ने एक अहम प्रशासनिक निर्णय लेते हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी कृष्णकांत पाठक (2001 बैच) के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए दिए गए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) को वापस ले लिया है। इस फैसले को राज्य शासन की ओर से नौकरशाही पर मजबूत पकड़ और विश्वसनीय अधिकारियों को अपने पास बनाए रखने की नीति के रूप में देखा जा रहा है।

नौकरशाही पर पकड़ मजबूत कर रही है राजस्थान सरकार

हालाँकि यह निर्णय जुलाई 2025 में ही लिया गया था, लेकिन अब इसे औपचारिक रूप से केंद्र सरकार को सूचित कर दिया गया है। कृष्णकांत पाठक वर्तमान में देवस्थान विभाग का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं और उनके कार्यप्रदर्शन व प्रशासनिक दक्षता के चलते मुख्यमंत्री का विश्वास उन्होंने अर्जित किया है।

राज्य की प्राथमिकताएं पहले

सूत्रों के अनुसार, यह कदम न केवल पाठक की प्रशासनिक क्षमता में विश्वास को दर्शाता है, बल्कि राज्य सरकार की यह मंशा भी स्पष्ट करता है कि वह अपने अनुभवी और कुशल अधिकारियों को केंद्र में भेजने से पहले राज्य की प्रशासनिक जरूरतों को प्राथमिकता दे रही है।

राजस्थान सरकार ने केवल कृष्णकांत पाठक की ही नहीं, बल्कि दो अन्य आईएएस अधिकारियों- पी. रमेश (2005 बैच) और नकाते शिव प्रसाद मदान (2011 बैच) की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के अनुरोधों को भी अस्वीकार कर दिया है। यह एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य सरकार अनुभवयुक्त अधिकारियों को राज्य की जरूरतों के अनुसार तैनात करना चाहती है।

चयनात्मक दृष्टिकोण बरकरार

हालाँकि, यह रुख पूरी तरह से कठोर नहीं है। आईएएस नेहा गिरी (2010 बैच) के मामले में अभी भी एनओसी मान्य है। उनके पति इंद्रजीत सिंह (2010 बैच) को हाल ही में केंद्र सरकार में पोस्टिंग मिली है, और नेहा गिरी भी जल्द ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा सकती हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि राजस्थान सरकार प्रतिनियुक्ति के मामलों में चयनात्मक दृष्टिकोण अपना रही है, और यह पूरी तरह से प्रतिबंधात्मक नहीं है।

20 आईएएस अधिकारी पहले से ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत

फिलहाल, राजस्थान कैडर के करीब 20 आईएएस अधिकारी पहले से ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं। लेकिन हालिया निर्णय यह दर्शाता है कि राज्य सरकार अपने शासन को बेहतर बनाने के लिए संगठित और नियंत्रित नौकरशाही चाहती है।

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विशेषकर जब राज्य प्रशासन को कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसे समय में अनुभवी और भरोसेमंद अधिकारियों की राज्य में उपस्थिति को सुनिश्चित करना मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं में शामिल है।

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राजस्थान सरकार का यह फैसला संकेत देता है कि अब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को 'सामान्य प्रक्रिया' मानने की बजाय, इसे राज्य की जरूरतों के हिसाब से तैयार की गई नीति के तहत देखा जाएगा। इससे प्रशासनिक ढाँचे में स्थायित्व और जवाबदेही बढ़ेगी।

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