

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षकों की बहाली को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया है। सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षकों की बहाली में डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा कर दी है। पढ़िए पूरी खबर
बिहार सीएम नीतीश कुमार (सोर्स इंटरनेट)
Patna: बिहार में शिक्षा प्रणाली को और भी मजबूत बनाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने घोषणा की कि अब आगामी TRE‑4 (Teacher Recruitment Exam‑4) भर्ती प्रक्रिया में केवल टैलेंट ही नहीं बल्कि बिहार के मूल निवासियों (Domicile holders) को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके मद्देनज़र उन्होंने शिक्षा विभाग को आवश्यक नियमों में संशोधन करने का आदेश दिया है ताकि यह नीति प्रभावी रूप से लागू हो सके।
सूत्रों के अनुसार, सीएम नीतीश कुमार ने बताया कि 2005 में जब वे मुख्यमंत्री बने थे, तब से राज्य में शिक्षा सुधार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। इसी नीति के तहत अब तक बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। आगामी भर्ती परीक्षा TRE‑4 वर्ष 2025 में आयोजित की जाएगी, जबकि TRE‑5 अगले वर्ष—2026 में—पेश की जाएगी। TRE‑5 से पहले शिक्षकों की पात्रता की परीक्षा STET (Secondary Teacher Eligibility Test) कराना अनिवार्य होगा, ताकि योग्यतम उम्मीदवार परीक्षा में सफल हों।
इस नए डोमिसाइल-प्राथमिकता निर्णय की पृष्ठभूमि में पटना के गांधी मैदान में छात्रों का प्रदर्शन भी उल्लेखनीय है। उन्होंने जनहित में यह मांग उठाई है कि बिहार सरकार की नौकरियों में 90‑95% आरक्षण मूल निवासियों के लिए होना चाहिए। उनका तर्क है कि राज्य की सीमित सरकारी संसाधन और नौकरियां मूल निवासी युवा वर्ग के लिए समर्पित रहनी चाहिए। गौरतलब है कि पिछले वर्षों में दूसरे राज्यों के उम्मीदवारों को भी खासी हिस्सेदारी मिली थी, जिसको लेकर स्थानीय छात्रों में नाराजगी बढ़ी है।
प्रदेश सरकार ने भी इस मांग को गंभीरता से लिया। इसी के परिणामस्वरूप सीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि डोमिसाइल आधार पर बहाली की प्राथमिकता दी जाए। शिक्षा विभाग को व्यापक तौर पर नियमावली अद्यतन करने के लिए भी कहा गया है, ताकि TRE‑4 से सुधार लागू हो सके और TRE‑5 में भी यही संरचना अपनाई जाए।
इस नीति से न सिर्फ बिहार के युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था भी स्थायी रूप से मजबूत बनेगी। स्थानीय शिक्षकों की भर्ती से स्कूलों में भाषा, संस्कृति व स्थानीय ज्ञान का समावेश भी होगा, जिससे शिक्षा का स्तर सुधरेगा। इसके अलावा, STET परीक्षा लागू करने से प्रशिक्षकों की योग्यता को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
राज्य सरकार का यह कदम सामाजिक न्याय, स्थानीय सशक्तीकरण और शिक्षा सुधार के संयोजन की दिशा में एक स्पष्ट संकेत है। यह बताता है कि बिहार में शिक्षा को केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि स्थिर रोजगार और स्थानीय युवाओं के विकास का जरिया माना जा रहा है। अंततः इस नीति के लागू होने से राज्य में बेरोजगारी में कमी, शिक्षा के स्तर में सुधार और सामाजिक विश्वास में वृद्धि की उम्मीद जगती है।