

बिहार चुनाव 2025 की घोषणा के साथ हलचल तेज हो गई है। आचार संहिता के तहत चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इस रिपोर्ट में जानिए कि आचार संहिता के दौरान जब्त कैश का क्या होता
आचार संहिता के दौरान जब्त कैश
New Delhi: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा के साथ ही राज्य की राजनीति गरमा गई है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा, जबकि दूसरे चरण के लिए वोटिंग 11 नवंबर को होगी। चुनाव के परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इस बार के चुनाव में सियासी दलों की तैयारियां जोरों पर हैं, और उम्मीदवारों के नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
चुनावों के दौरान आचार संहिता लागू होने के बाद अब चुनावी गतिविधियों में सख्ती देखने को मिल रही है। आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाना है, ताकि कोई भी पार्टी, उम्मीदवार या नागरिक चुनाव को प्रभावित करने के लिए गैरकानूनी तरीके से किसी भी गतिविधि में शामिल न हो सके। खासकर कैश के लेन-देन पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, ताकि चुनावी परिणाम को प्रभावित करने के लिए काले धन का इस्तेमाल न हो।
आचार संहिता के दौरान जब्त कैश
आचार संहिता लागू होने के बाद अगर किसी व्यक्ति के पास बड़ी रकम मिलती है, तो उसे लेकर स्पष्ट कारण देना होता है। यदि व्यक्ति यह साबित नहीं कर पाता कि पैसे किस उद्देश्य से ले जाए जा रहे हैं, तो चुनाव आयोग और पुलिस टीम उस पैसे को जब्त कर लेती हैं। खासकर चुनाव के दौरान कैश की जब्ती पर विशेष ध्यान दिया जाता है, क्योंकि यह माना जाता है कि बड़े पैमाने पर कैश का इस्तेमाल चुनावी घोटालों और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है।
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जब चुनाव आयोग या पुलिस किसी व्यक्ति से कैश जब्त करती है, तो उसे तत्काल आयकर विभाग को सौंपा जाता है। अगर जब्त की गई राशि 10 लाख रुपये या उससे अधिक होती है, तो उसे सीधे जिला ट्रेजरी में जमा किया जाता है। इसके बाद इनकम टैक्स के नोडल अधिकारी को इसकी सूचना दी जाती है। इस दौरान अगर कोई व्यक्ति यह साबित कर सकता है कि यह राशि वैध है और इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है, तो वह अपने दस्तावेजों के आधार पर उस रकम को वापस प्राप्त कर सकता है।
चुनाव आयोग और पुलिस टीम के द्वारा जब्त किए गए कैश को वापस पाने के लिए व्यक्ति को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इनमें बैंक स्टेटमेंट, पासबुक की एंट्री, एटीएम से पैसे निकालने की रसीद, बैंक से निकासी की स्लिप और पहचान पत्र जैसे दस्तावेज शामिल हो सकते हैं। यदि यह साबित होता है कि यह रकम चुनाव को प्रभावित करने के लिए नहीं थी, तो व्यक्ति उसे वापस पा सकता है।
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यदि कोई व्यक्ति जब्त किए गए कैश का दावा नहीं करता या उसके पास उचित दस्तावेज नहीं होते, तो वह रकम सरकारी खजाने यानी सरकार के ट्रेजरी में जमा कर दी जाती है। इसके बाद इस पैसे पर कानूनी प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। इसका मतलब है कि व्यक्ति को न केवल अपना पैसा गंवाना पड़ सकता है, बल्कि उसे कानूनी मामलों का भी सामना करना पड़ सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए चुनाव आयोग और पुलिस की टीमें पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया के साथ ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय हो गई हैं। कई जगहों पर नाकाबंदी कर जांच की जा रही है और मतदान से पहले ही किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखी जा रही है। आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो सके।