

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित झूलाघाट क्षेत्र में चुनावी गतिविधियाँ भले ही थमी हुई हैं, लेकिन लोगों के बीच सांस्कृतिक और मानवीय रिश्तों की गहराई अब भी बनी हुई है। इस शांत माहौल में झूलाघाट पुल एक प्रतीक बनकर उभरा है, जो दोनों देशों के दिलों को जोड़ता है।
झूलाघाट पुल
Uttarakhand: पिथौरागढ़ जिले में स्थित झूलाघाट, भारत-नेपाल की सीमा पर बसा एक ऐसा कस्बा है जहां चुनावी हलचल के बीच भी गहरी मानवीय और सांस्कृतिक साझेदारी की मिसाल देखने को मिलती है। इस क्षेत्र में हाल के चुनावों के चलते भले ही राजनीतिक गतिविधियां धीमी पड़ी हैं, लेकिन सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों के बीच संबंधों की गर्माहट जस की तस बनी हुई है।
झूलाघाट पुल, जो भारत और नेपाल को जोड़ता है, केवल एक लोहे का ढांचा नहीं है बल्कि यह उन भावनात्मक रिश्तों का सेतु है जो वर्षों से इन दोनों देशों के नागरिकों को जोड़ता आया है। इस पुल से हर दिन लोग आते-जाते हैं, न केवल व्यापार या रोजमर्रा की जरूरतों के लिए, बल्कि एक-दूसरे की खुशियों और दुखों में शामिल होने के लिए भी।
चुनावों के दौरान सीमाओं पर कड़ी निगरानी रहती है, आवाजाही सीमित होती है, फिर भी यहां का आपसी भरोसा और सौहार्द कम नहीं होता। स्थानीय लोग बताते हैं कि चाहे भारत में चुनाव हों या नेपाल में, सीमाएं कभी दिलों को नहीं रोक पाईं।
यह इलाका इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि राजनीतिक सीमाओं से परे भी इंसानियत के रिश्ते कायम रहते हैं। झूलाघाट पुल उन रिश्तों की मजबूती का प्रतीक है जो वक्त और हालात की कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं।