किसका कटेगा अगला नंबर? उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में सैलरी पर लगी अचानक रोक

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में लंबे समय से चल रही वित्तीय अनियमितताओं और नियमों की अनदेखी के मामलों पर शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। शासन ने विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव समेत कुल 36 अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। वहीं अन्य कर्मचारियों के वेतन मद के लिए 13.13 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया गया है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 16 July 2025, 3:31 PM IST
google-preferred

Haridwar: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में लंबे समय से चल रही वित्तीय अनियमितताओं और नियमों की अनदेखी के मामलों पर शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। शासन ने विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव समेत कुल 36 अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। वहीं अन्य कर्मचारियों के वेतन मद के लिए 13.13 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया गया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  गौरतलब है कि हरिद्वार के ऋषिकुल और गुरुकुल परिसरों में तैनात कई प्रोफेसर भी इस कार्रवाई की जद में आए हैं। शासन का यह निर्णय विभागीय पदोन्नति योजना के दुरुपयोग और अनुचित सेवा लाभ देने के आरोपों के बाद लिया गया है। सचिव उत्तराखंड शासन दीपेन्द्र कुमार चौधरी की ओर से जारी पत्र में निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं को निर्देशित किया गया है कि वित्त विभाग के निर्णय तक किसी भी स्थिति में कुलपति, कुलसचिव और अन्य दोषी कार्मिकों को वेतन न दिया जाए।

दरअसल, वर्ष 2016 में विश्वविद्यालय में कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आई थीं। संविदा पर रखे गए कर्मचारियों को मनमाने तरीके से पदोन्नति देकर उच्च वेतनमान प्रदान किए गए थे। जांच के दौरान पांच जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली के आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। बावजूद इसके बीते पांच माह से वेतन न मिलने के कारण शिक्षक, चिकित्सक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी धरने पर बैठे थे। धरने के 26वें दिन शासन ने आंशिक राहत देते हुए सामान्य कर्मचारियों के लिए बजट तो जारी कर दिया लेकिन दोषी माने गए कर्मचारियों को राहत नहीं दी।

कुल 36 कार्मिकों में से चन्द्रमोहन पैन्यूली (व्यक्तिगत सहायक), विवेक वैभव जोशी (आशुलिपिक ग्रेड-2), अनिल दत्त बेलवाल (सहायक लेखाकार), मिथिलेश मठपाल (कनिष्ठ सहायक) और दीपक ज्योति (संविदा कनिष्ठ सहायक) के खिलाफ भी अनुचित सेवा लाभ लेने के आरोप तय हुए हैं। इसके अलावा शैक्षणिक संवर्ग से आठ सहायक प्रवक्ता जिनमें डॉ. उत्तम कुमार शर्मा, डॉ. दिनेश कुमार गोयल, डॉ. राम विलास शुक्ला, डॉ. रामकुमार गौतम, डॉ. प्रवेश तोमर, डॉ. शोभित कुमार, डॉ. नर्गता जोशी और डॉ. ऊषा शमां शामिल हैं, इनके विनियमितकरण को समाप्त कर दिए जाने के आदेश भी जारी हुए हैं।

शासन ने साफ कर दिया है कि दोषी कार्मिकों से अब तक वेतन मद में किए गए सभी अतिरिक्त भुगतान की वसूली नियमानुसार की जाएगी। वित्त विभाग से मांगे गए बिंदुओं पर विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब मांगा गया है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई तय होगी। इस कार्रवाई से विश्वविद्यालय प्रशासन और कार्मिकों में हड़कंप मचा हुआ है।

Location : 

Published :