ताश के पत्तों की तरह ढहते घर: क्यों बढ़ रही हैं बादल फटने की घटनाएं? जानिए कारण

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को हुई बादल फटने की भयावह घटना ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आईये जानते हैं कि आखिर ये बादल फटने की घटना क्या है और क्यों पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 6 August 2025, 8:23 AM IST
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New Delhi: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को बादल फटने की विनाशकारी घटना हुई। गंगोत्री के पहाड़ों से बहने वाली खीर गंगा नदी अचानक उफान पर आ गई और तेज बहाव के साथ आया मलबा महज 34 सेकेंड में धराली गांव को पूरी तरह तबाह कर गया। इस प्राकृतिक आपदा से अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 50 से अधिक लोग लापता हैं। राहत और बचाव कार्य में तेजी लाई गई है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की संयुक्त टीमें घटनास्थल पर राहत कार्य में जुटी हैं। अब तक 130 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।

यह हादसा केवल एक गांव की त्रासदी नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है कि किस तरह पहाड़ी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों का असर प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ रहा है। आईये जानते हैं कि आखिर बादल क्यों फटते हैं और हिमालयी क्षेत्रों में ये घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं?

क्या होता है बादल फटना?

बादल फटना यानी क्लाउडबर्स्ट वह स्थिति होती है जब किसी छोटे से क्षेत्र में बहुत कम समय में अत्यधिक वर्षा होती है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अगर किसी क्षेत्र में एक घंटे में 100 मिमी या उससे अधिक बारिश होती है, तो उसे बादल फटना कहा जाता है। यह बारिश इतनी तीव्र होती है कि मिट्टी, पत्थर, पेड़-पौधे, जानवर और इंसान, सबकुछ बहा ले जाती है। खासकर पहाड़ी ढलानों पर इसका असर बेहद विनाशकारी होता है।

The incidence of cloud burst is increasing in the mountains (Img: Google)

पहाड़ों में बढ़ रही बादल फटने की घटना (Img: Google)

बादल फटने की प्रक्रिया कैसे होती है?

जब गर्मी के कारण वातावरण में अत्यधिक नमी इकट्ठा हो जाती है और यह नमी ठंडी हवाओं से टकराती है, तब बड़े आकार के घने बादल बनते हैं। यह बादल जब पहाड़ी क्षेत्र में पहुंचते हैं और ऊंचाई के कारण वहीं रुक जाते हैं, तो एक सीमित क्षेत्र में अचानक अत्यधिक बारिश होती है।

इन बादलों को क्यूमुलोनिम्बस कहा जाता है, जो भारी वर्षा, बिजली और तूफानी हवाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। समुद्र तल से 1,000 से 2,500 मीटर की ऊंचाई तक क्लाउडबर्स्ट की घटनाएं अधिक होती हैं।

हिमालयी क्षेत्रों में क्यों बढ़ रही हैं घटनाएं?

The incidence of cloud burst is increasing in the mountains (Img: Google)

पहाड़ों में बढ़ रही बादल फटने की घटना (Img: Google)

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों में बादल फटने की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, जंगलों की आग और अवैध निर्माण जैसे कारण हैं। पर्यटन और वाहनों की बढ़ती संख्या से पर्यावरणीय दबाव भी बढ़ रहा है। इससे पारिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ रहा है और मानसून पैटर्न अस्थिर हो रहे हैं।

कहां से आती है इतनी नमी?

गंगा के मैदानी इलाकों में कम दबाव प्रणाली और पूर्व से बहने वाली नमी भरी हवाएं पहाड़ों की ओर जाती हैं। जब ये हवाएं पहाड़ों से टकराती हैं, तो वही पर भारी मात्रा में वर्षा होती है। कुछ मामलों में उत्तर-पश्चिम दिशा से आने वाली हवाएं भी क्लाउडबर्स्ट की घटनाओं में योगदान देती हैं। यह स्पष्ट है कि क्लाउडबर्स्ट केवल एक मौसमीय घटना नहीं, बल्कि कई जटिल कारकों का परिणाम है।

बचाव और सावधानियां

बादल फटने की स्थिति में सबसे बड़ा खतरा होता है तेज बाढ़ का। नदी-नालों के किनारे रुकना, या ढलानों पर टिके रहना जानलेवा हो सकता है। मौसम विज्ञानियों की सलाह है कि भारी बारिश के दौरान इन इलाकों से दूर रहें। इसके साथ ही, लंबे समय के लिए पौधरोपण, वन संरक्षण और पर्यावरणीय जागरूकता जैसे उपाय अपनाना अनिवार्य है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 6 August 2025, 8:23 AM IST