

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धारली गांव में मंगलवार को दोपहर बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई। खीर गंगा नदी में आई बाढ़ ने महज कुछ ही सेकेंड में पूरा गांव तबाह कर दिया। राहत और बचाव कार्य जारी है। आईये जानते हैं कि ऐसी आपदा के बाद, बीमा क्लेम कैसे ले सकते हैं।
बादल फटने से भारी नुकसान (Img: Google)
New Delhi: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। गंगोत्री क्षेत्र में खीर गंगा नदी उफान पर आ गई, जिसके कारण धारली गांव में महज 34 सेकेंड में बाढ़ का पानी और मलबा घुस गया। इस हादसे में अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।
आपदा के तुरंत बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें मौके पर पहुंचीं। अब तक 130 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बचाया गया है, लेकिन राहत और बचाव कार्य अब भी जारी है। क्षेत्र में भारी तबाही हुई है। सैकड़ों घर, दुकानें और वाहन पानी और मलबे के साथ बह गए।
बिना दस्तावेज़ कैसे मिलेगा हक?
बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाएं अकसर अचानक आती हैं और अपने साथ सबकुछ बहाकर ले जाती हैं। सबसे बड़ी समस्या तब आती है जब लोगों के घर और जरूरी बीमा दस्तावेज भी नष्ट हो जाते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि बिना मूल दस्तावेजों के भी बीमा क्लेम लिया जा सकता है।
बीमा कंपनी को जल्द से जल्द करें सूचित
इसके लिए सबसे पहले बीमा कंपनी को जल्द से जल्द नुकसान की सूचना दें। इसके साथ ही नजदीकी पुलिस थाने या स्थानीय प्रशासन से एक आधिकारिक रिपोर्ट (FIR या पंचनामा) बनवाएं, जो क्लेम की प्रक्रिया में मदद करेगी। बीमा कंपनियां अक्सर खुद नुकसान का स्पॉट सर्वे करती हैं।
डिजिटल पॉलिसी का प्रमाण प्रस्तुत करें
अगर आपके पास पहले के ईमेल, पॉलिसी नंबर, पुरानी फोटो, बैंक स्टेटमेंट या डिजिटल पॉलिसी का कोई प्रमाण है, तो उसे प्रस्तुत करें। अधिकतर डिजिटल पॉलिसी का रिकॉर्ड बीमा कंपनी के पास होता है, जिससे क्लेम की संभावना मजबूत होती है।
किन चीज़ों का मिलेगा क्लेम?
घर के स्ट्रक्चरल नुकसान (दीवारें गिरना, छत टूटना)
इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, फर्नीचर, कीमती सामान
जरूरी दस्तावेज और कपड़े
मोटर इंश्योरेंस होने पर बाढ़ में डूबी गाड़ी
कुछ पॉलिसी में अस्थायी निवास की सुविधा
ध्यान रहे कि क्लेम केवल उन्हीं वस्तुओं पर मिलेगा, जो आपकी बीमा पॉलिसी में कवर की गई हैं। इस आपदा के बाद यह समझना और भी जरूरी हो गया है कि डिजिटल बीमा दस्तावेज कितने जरूरी हैं।