Uttarakhand News: रुद्रप्रयाग पर टूटा प्राकृतिक कहर, दरकती जमीन ने छीनी गांव की नींद

रुद्रप्रयाग के सिन्दरवाणी गांव में मूसलाधार बारिश के चलते भारी भूस्खलन और दरारें पड़ने से लोग भयभीत हैं। घर, स्कूल, खेत सभी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। ग्रामीण सुरक्षित स्थान पर विस्थापन की मांग कर रहे हैं।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 2 September 2025, 4:22 PM IST
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Rudraprayag: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक स्थित सिन्दरवाणी गांव में हालात और भी भयावह हो चुके हैं। पूरा गांव भूस्खलन और जमीन में दरारों से जूझ रहा है। ग्रामीण दिन-रात खतरे के साए में जी रहे हैं। 2013 की आपदा की कड़वी यादें अभी धुंधली भी नहीं हुई थी कि इस साल फिर वही मंजर लौट आया है।

हर ओर दरारें, हर चेहरे पर चिंता

गांव के लगभग हर घर, खेत, आंगन, स्कूल, रास्ते, मकान और यहां तक कि गौशालाओं तक में गहरी दरारें पड़ चुकी हैं। ज़मीन कई जगह से धंस चुकी है, घरों की नींवें हिल चुकी हैं और दीवारें टेढ़ी हो चुकी हैं। लोगों को हर पल यह डर सता रहा है कि कहीं अगला भूस्खलन उनकी जान न ले ले।

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स्कूल भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। आंगन और कक्षाओं में दरारें ऐसी हैं कि बच्चों को बैठाना तो दूर, अंदर जाना भी खतरे से खाली नहीं। कई ग्रामीणों ने अपने घरों को खाली कर अस्थायी टेंट या खुले मैदान में शरण ले रखी है।

2013 के ज़ख्म फिर हुए हरे

गांववासी बताते हैं कि 2013 की भीषण आपदा में भी गांव के कुछ हिस्से प्रभावित हुए थे, जिसमें चार से पांच परिवारों के घरों में दरारें पड़ी थीं और उन्हें अस्थायी तौर पर हटाया गया था। लेकिन इस बार की बारिश ने पूरे गांव को ही संकट में डाल दिया है। गांव के बुज़ुर्गों से लेकर छोटे बच्चे तक इस असहनीय संकट से जूझ रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई ठप हो चुकी है, महिलाओं को रसोई और जल संसाधनों की चिंता है और बुज़ुर्गों को अपने जीवन की सबसे भयावह रातें काटनी पड़ रही हैं।

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विस्थापन की मांग, लेकिन कोई सुनवाई नहीं

स्थानीय निवासी श्यामलाल कहते हैं, हम हर रात डर के साए में सोते हैं। घरों की दीवारें गिरने वाली हैं, स्कूल बच्चों के लिए जानलेवा हो चुका है। सरकार से हमारी यही मांग है कि पूरे गांव का जल्द से जल्द सुरक्षित स्थान पर विस्थापन किया जाए। दूसरी ओर, महिला ग्रामीण राधा देवी ने भावुक होते हुए कहा कि बच्चों को लेकर कहां जाएं? खेत गए तो दरारें, घर में रहें तो खतरा, कोई तो हमारी सुनवाई करे।

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