

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ की जा रही लड़ाई में एक अजीब मोड़ ला दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
देहरादून में चौंकाने वाली घटना
देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ की जा रही लड़ाई में एक अजीब मोड़ ला दिया है। कालसी तहसील में तैनात पटवारी गुलशन हैदर को विजिलेंस टीम ने 2000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा, लेकिन गिरफ्तारी के डर से उसने तुरंत 500-500 रुपये के चार नोटों को चबाकर निगल लिया। यह घटना हर किसी को हैरान कर रही है और अब पूरे प्रशासनिक तंत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, मामले की शुरुआत एक शिकायत से हुई थी। शिकायतकर्ता ने विजिलेंस विभाग को सूचित किया कि उसके चचेरे भाइयों द्वारा मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र के लिए किए गए ऑनलाइन आवेदन को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद शिकायतकर्ता ने पटवारी गुलशन हैदर से संपर्क किया। पटवारी ने प्रमाण पत्रों को मंजूर कराने के बदले 2000 रुपये की रिश्वत की मांग की और उन्हें सोमवार को तहसील कार्यालय बुलाया।
शिकायतकर्ता की सूचना पर विजिलेंस सेक्टर देहरादून की ट्रैप टीम ने तहसील कालसी में जाल बिछाया। जैसे ही गुलशन हैदर ने रिश्वत के पैसे लिए, टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया। लेकिन गिरफ्तार होते ही गुलशन हैदर ने अपनी जान बचाने के लिए नोटों को चबाकर निगल लिया।
विजिलेंस टीम ने फौरन उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसका अल्ट्रासाउंड कराया गया, लेकिन पेट में नोटों का कोई अंश नहीं मिला। इसके बाद डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी कराने की सलाह दी, जिसकी तैयारी अब चल रही है।
इस संबंध में निदेशक सतर्कता डॉ. वी. मुरुगेशन ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि रिश्वत के मामलों में आरोपी अब किस हद तक जा सकते हैं, यह घटना उसका जीता-जागता उदाहरण है।
यह मामला न केवल भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करता है बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता बनाए रखने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।