

हरिद्वार में सावन के दौरान डाक कांवड़ियों की भारी भीड़ से ट्रैफिक जाम और जनजीवन प्रभावित हुआ है। प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधा के विशेष इंतजाम किए हैं, पर अनुशासन बनाए रखना अब भी एक बड़ी चुनौती है।
डाक कांवड़ यात्रा (सोर्स- इंटरनेट)
Haridwar: सावन के पावन महीने में हरिद्वार एक बार फिर शिवभक्त कांवड़ियों से गुलजार हो गया है। विशेष रूप से डाक कांवड़ियों की तेज रफ्तार दस्तों ने शहर की रफ्तार को ही बदल दिया है। हरिद्वार से लेकर एनएच-58 और शहर की मुख्य गलियों तक दिन-रात सायरन बजाते बाइक सवार कांवड़िए गुजर रहे हैं, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
बता दें कि शहर में अचानक आई भीड़ के कारण ट्रैफिक जाम आम हो गया है। स्थानीय नागरिक, दुकानदार और यात्री घंटों जाम में फंसे रहते हैं। कई स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ डाक कांवड़िए नियमों की अनदेखी कर तेज गति से वाहन चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए सड़कों पर चलना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
पुलिस और होमगार्ड्स की तैनाती
हालात को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को लेकर विशेष प्रबंध किए हैं। शहर भर में पुलिस और होमगार्ड्स की तैनाती की गई है, साथ ही अस्थायी पार्किंग, पेयजल व्यवस्था और चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं। अधिकारियों का अनुमान है कि इस बार लगभग 15 लाख डाक कांवड़िए हरिद्वार पहुंच सकते हैं, जिससे व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गया है।
डाक कांवड़ से कारोबार प्रभावित
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि व्यापारियों का कहना है कि डाक कांवड़ के 3-4 दिन उनका कारोबार भी प्रभावित होता है क्योंकि ग्राहकों की आवाजाही कम हो जाती है। हालांकि कई श्रद्धालु और स्थानीय लोग इस आस्था यात्रा का स्वागत भी कर रहे हैं। उनका मानना है कि शिवभक्तों की सेवा करना पुण्य है, लेकिन सभी को नियमों का पालन कर व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए।
आस्था यात्रा बनी हरिद्वार की पहचान
हरिद्वार की पहचान बन चुकी यह आस्था यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। स्थानीय लोग और प्रशासन दोनों यही उम्मीद कर रहे हैं कि श्रद्धा और अनुशासन का संतुलन बना रहे ताकि यह महापर्व सभी के लिए सुखद और सुरक्षित अनुभव बन सके।
दो प्रकार की होती है कावड़ यात्रा
सावन के महीने में उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों से लाखों शिवभक्त हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य तीर्थ स्थलों पर गंगाजल लेने पहुंचते हैं, जिसे वे अपने-अपने शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। इस यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। इसमें दो प्रकार के कांवड़िए होते हैं सामान्य और डाक कांवड़िए।
डाक कांवड़ की विशेषता
डाक कांवड़ की विशेषता यह है कि ये कांवड़िए गंगाजल लेने के बाद बिना रुके, बहुत तेज गति से दौड़ते हुए (अक्सर मोटरसाइकिल या पैदल) अपने गंतव्य की ओर लौटते हैं। इस दौरान ये सड़क पर सायरन बजाते, झंडे लगाकर तेज रफ्तार से चलते हैं, जिससे दुर्घटना और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
इस साल (2025) प्रशासन को अनुमान है कि करीब 15 लाख डाक कांवड़िए हरिद्वार पहुंचेंगे। इसके लिए कई अस्थायी पार्किंग स्थल, चिकित्सा शिविर, जल आपूर्ति केंद्र, मोबाइल शौचालय और राहत चौकियां स्थापित की गई हैं।