Roorkee News: रुड़की के इस कॉलेज में शिक्षकों और कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी; दी ये चेतावनी

रुड़की के कन्हैया लाल डीएवी कॉलेज में छह महीने से वेतन न मिलने से नाराज़ शिक्षकों और कर्मचारियों ने सोमवार से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे कर्मचारियों ने पढ़ाई ठप कर दी है। वेतन न मिलने पर छात्रसंघ चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी गई है।

Post Published By: रवि पंत
Updated : 16 September 2025, 12:47 PM IST
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Roorkee: रुड़की स्थित कन्हैया लाल डीएवी कॉलेज में पिछले शुक्रवार (सोमवार से) शिक्षकों और कर्मचारियों ने वेतन न मिलने के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। छह महीने से वेतन बकाया होने के कारण उनके रोज़मर्रा के जीवन और आर्थिक दशा पर गहरा असर पड़ा है। धरना सोमवार से जारी है और कॉलेज की पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हो रही है।

छह महीने से वेतन नहीं, जिंदगी मुश्किल

शिक्षक एवं गैर-शिक्षक कर्मचारी महासंघ की अध्यक्ष डॉ. पूर्णिमा श्रीवास्तव ने बताया कि वेतन न मिलने के चलते अनेक कर्मचारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। “बच्चों की फीस, ईएमआई, बिजली और राशन जैसी बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं।” उन्होंने कहा कि बार-बार प्रशासन, प्रबंधन और शिक्षा विभाग से गुहार लगाने के बावजूद कोई हल नहीं निकला। महासंघ के सचिव मुदित गर्ग ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाने की कोशिश की जा रही है।

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राजनीतिक दबाव बढ़ा

धरने को सीधा राजनीतिक दबाव भी मिल रहा है। कलियर से कांग्रेस विधायक फुरकान अहमद धरने स्थल पर पहुंचे और उन्होंने कड़ी आलोचना की। विधायक ने कहा कि वेतन का समय से भुगतान न होना शिक्षा विभाग एवं सरकार की गंभीर चूक है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यदि समस्या जल्द सुलझाया नहीं गया, तो छात्रसंघ चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा।

धरने का माहौल और मौजूद लोग

धरने में प्राचार्य डॉ. एम. पी. सिंह, प्रोफेसर मंजुल धीमान, डॉ. तनवीर आलम, डॉ. सचित त्यागी, डॉ. पूजा अरोड़ा, डॉ. मिथिलेश कुमारी, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. किरण भारती, डॉ. मेधा जुयाल, डॉ. अंबिका भट्ट, डॉ. मोनू राम सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारी शामिल हैं। सभी ने मिलकर कहा है कि वेतन मिलना ज़रूरी है, अन्यथा आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

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पढ़ाई प्रभावित, समाधान की मांग

धरने के चलते कॉलेज की अधिकांश कक्षाएं बंद हैं। छात्रों की पढ़ाई और परीक्षा की तैयारियाँ प्रभावित हो रही हैं। विद्यार्थी और अभिभावक दोनों ही परेशान हैं। कर्मचारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक लंबित वेतन का भुगतान नहीं होगा, तब तक धरना चलता रहेगा।

सरकार एवं प्रशासन पर दबाव

प्रबंधन और विश्वविद्यालय के बीच कामकाज करना चाहिए ताकि इस संकट का समाधान हो सके। कर्मचारियों की मांगें न्यायसंगत हैं और सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है। अब देखने की बात है कि क्या शिक्षा विभाग और प्रबंधन संयुक्त रूप से इस मसले को समय रहते हल कर पाएंगे, ताकि न सिर्फ कर्मचारियों को न्याय मिले बल्कि छात्रों का भविष्य भी सुरक्षित हो सके।

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