Pauri Panchaayat chunav: युवाओं का राजनीति में रुझान, पाबौ ब्लाक की बीटेक पास साक्षी बनी प्रधान

उत्तराखंड पंचायत चुनाव में महिलाओं का पलड़ा भारी है। महिलाए सभी पदों पर पुरुषों को टक्कर दे रही है। महिलाओं का राजनीति में प्रवेश महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम है।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 1 August 2025, 5:25 PM IST
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पौड़ी: उत्तराखंड पंचायत चुनाव में इस बार महिलाओं का पलड़ा भारी है। महिला शक्ति पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। जिले के पाबौ ब्लाक के अंतर्गत कुई गांव की 22 वर्षीय साक्षी प्रधान चुनी गई। साक्षी देहरादून से बीटेक करके अपने गांव लौटी।

इसके बाद उन्होंने ग्राम प्रधान के पद की दावेदारी की और साक्षी कुई गांव की प्रधान चुनी गई है। साक्षी ने कहा कि उन्होंने अपने  गांव और क्षेत्र का विकास करने की ठानी। अपने बीटेक के अनुभव को वे गांव के विकास में लगाएंगी।

दूसरी तरफ चौखुटिया ब्लॉक की कोट्यूड़ा ताल सीट से निकिता ने क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) पद पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है। महज 21 वर्ष की इस स्नातक छात्रा ने महिला प्रत्याशियों में सबसे कम उम्र की बीडीसी सदस्य बनने का गौरव प्राप्त किया है।

निकिता को कुल 456 वोट मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी निशा को 415 मत प्राप्त हुए। 14 वोट रद्द हुए। निकिता ने 41 मतों के अंतर से यह मुकाबला जीता और अपनी सूझ-बूझ और शिक्षा के बल पर जनता का भरोसा जीत लिया।

निकिता फिलहाल बीए की पढ़ाई कर रही हैं और ग्रामीण महिलाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर जागरूकता लाने की बात कर रही हैं। जीत के बाद उन्होंने कहा कि अब महिलाएं सिर्फ वोट नहीं देंगी, नेतृत्व भी करेंगी।

निकिता और साक्षी की यह जीत उन तमाम ग्रामीण लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो आगे बढ़ने का सपना देखती हैं। शिक्षा और सादगी से सजी इस युवा प्रतिनिधि की राजनीति में प्रवेश ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई उम्मीद जगाई है।

पंचायत चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढ़ना एक सकारात्मक बदलाव है। इससे न केवल महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण हो रहा है, बल्कि ग्रामीण विकास में भी सुधार हो रहा है।  उत्तराखंड में कई जगहों पर उनका दबदबा भी देखने को मिल रहा है।
महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों के अलावा, गैर-आरक्षित सीटों पर भी महिलाएं चुनाव जीत रही हैं, जो एक सकारात्मक बदलाव है।
महिला जनप्रतिनिधियों के आगे बढ़ने से उनके परिवारों और समाज में भी सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। इससे अन्य महिलाओं को भी राजनीति में आने की प्रेरणा मिल रही है। इससे समावेशी और समान समाज की स्थापना हो रही है।

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