

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक प्रकरण पर अब सियासी संग्राम तेज हो गया है। लंबे समय से आंदोलनरत छात्र लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
पेपर लीक कांड
उत्तराखंड: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक प्रकरण पर अब सियासी संग्राम तेज हो गया है। लंबे समय से आंदोलनरत छात्र लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। इस बीच हरिद्वार के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उनके समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि यदि सीबीआई जांच होती है तो इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और छात्रों की शंकाओं का समाधान हो सकेगा।
रावत ने रविवार को बयान जारी करते हुए कहा कि बेरोजगार युवाओं का आक्रोश दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। प्रदेश के कई हिस्सों—देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार और पौड़ी—में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। युवाओं का विश्वास बनाए रखने के लिए सरकार को त्वरित कदम उठाने होंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील की कि छात्रों की मांग को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द सीबीआई जांच का आश्वासन दिया जाए।
पूर्व सीएम ने कहा कि जांच में पारदर्शिता सबसे अहम है। यदि सरकार इस दिशा में ठोस निर्णय लेती है तो छात्रों का विश्वास बहाल होगा और उनकी नाराजगी भी कम होगी। उन्होंने यह भी कहा कि पेपर लीक प्रकरण से प्रदेश की छवि धूमिल हुई है और इससे प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले लाखों युवाओं के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
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गौरतलब है कि इस पूरे प्रकरण में बेरोजगार संघ सहित कई छात्र संगठन लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। खासकर देहरादून में आंदोलन का दायरा दिनों-दिन बढ़ रहा है। अब त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसे वरिष्ठ नेता और भाजपा सांसद के समर्थन से छात्रों की मांग और भी मजबूती पकड़ गई है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि रावत का यह रुख सरकार के लिए एक तरह का संकेत है कि यदि युवाओं की आवाज अनसुनी की गई तो आंदोलन और उग्र हो सकता है। वहीं, विपक्ष पहले से ही सीबीआई जांच की मांग पर जोर दे रहा है। ऐसे में देखना होगा कि मुख्यमंत्री धामी इस बढ़ते दबाव के बीच क्या फैसला लेते हैं।
पेपर लीक कांड ने जहां युवाओं का धैर्य तोड़ा है, वहीं प्रदेश की साख भी दांव पर लगी है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार छात्रों की मांग मानते हुए सीबीआई जांच की घोषणा करती है या नहीं