

नैनीताल में भारी बारिश के बीच प्रशासन ने गर्भवती महिला को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाने के लिए रातभर रेस्क्यू अभियान चलाया। टूटी सड़कें और खराब रास्तों के बावजूद महिला को 108 एंबुलेंस से पदमपुरी अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे सुरक्षित हल्द्वानी भेजा।
महिला को किया गया रेस्कयू
Nainital: मानसून में आपदा जैसी परिस्थितियों के बीच जिला प्रशासन की सतर्कता का बड़ा नतीजा सामने आया है। गर्भवती महिलाओं की लगातार की जा रही विशेष मॉनिटरिंग से एक महिला को समय रहते सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया जा सका। मामला ओखलकांडा ब्लॉक के दूरस्थ गांव ज्योसूडा का है। दो सितम्बर को मौसम विभाग के रेड अलर्ट के बीच जिला कंट्रोल रूम को जानकारी मिली कि गांव की सरिता देवी की प्रसव तिथि अगले दिन तय है। खबर मिलते ही प्रशासन ने तुरंत एक्शन लिया और महिला को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए रातभर रेस्क्यू अभियान चलाया।
सबसे पहले धारी के एसडीएम के एन गोस्वामी और आपदा अधिकारी कमल सिंह मेहरा ने हालात का जायजा लिया। पीडब्ल्यूडी और पीएमजीएसवाई की टीम को मौके पर भेजा गया। सड़क जगह जगह से टूटी हुई थी और अंधेरा हो चुका था लेकिन टीम ने जेसीबी मशीन से मार्ग खोलने की कोशिश शुरू की। स्थानीय प्रधानों और ग्रामीणों ने भी सहयोग किया। करीब रात 12 बजे तक जेसीबी की मदद से इतना रास्ता तैयार किया गया कि महिला को पैदल पार कराया जा सके। इसके बाद सरिता देवी को उनके पति और आशा कार्यकर्ता की देखरेख में 108 एंबुलेंस तक लाया गया। रात ढाई बजे तक वह पदमपुरी अस्पताल पहुंचीं जहां डॉक्टर हिमांशु और उनकी टीम ने जांच की। महिला पूरी तरह स्वस्थ पाई गई और डॉक्टरों ने बताया कि प्रसव में अभी कुछ दिन बाकी हैं। अगले दिन सुबह सरिता देवी को हल्द्वानी उनके रिश्तेदारों के पास सुरक्षित भेज दिया गया।
पूरे अभियान के दौरान प्रशासन लगातार कंट्रोल रूम से हालात पर नजर बनाए रहा। 108 एंबुलेंस की टीम पूरी रात इंतजार करती रही। पदमपुरी अस्पताल में भी स्टाफ पूरी तैयारी के साथ मौजूद रहा। इस कठिन परिस्थिति में जेसीबी चालक केशर सिंह और अभियंता राजीव गौड़ व मनोज महतोलिया की मेहनत की सराहना प्रशासन ने की है। कहा जा रहा है कि यह उदाहरण दर्शाता है कि आपदा जैसी घड़ी में प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर बड़ी मुश्किल को टाल सकते हैं।