

उत्तराखंड के वनों पर बनी अनोखी फिल्म, DFO डायरी, फायर वारियर्स को लेकर विशेष रुप से उत्तराखंड और देश के दर्शकों में उत्साह है। फिल्म आगामी 24 अक्टूबर को विभिन्न प्लेटफार्मों पर पूरे भारत में रिलीज होगी।
फिल्म की अभिनेत्री हर्षिता कोहली
Nainital: उत्तराखंड के जंगलों और वहां लगने वाली वनाग्नियों पर आधारित फिल्म ‘DFO डायरी फायर वारियर्स, दर्शकों के बीच जल्द ही अपनी छाप छोड़ने जा रही है। मशहूर फिल्म निर्देशक महेश भट्ट के निर्देशन में बनी इस अनोखी फिल्म का निर्माण उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी DFO बिज्जू लाल ने किया है। यह फिल्म 24 अक्टूबर को विभिन्न प्लेटफार्मों पर पूरे भारत में रिलीज होगी।
फिल्म का संगीत इसकी आत्मा कहा जा सकता है हर एक सुर जलते पेड़ों की पीड़ा, नई पौधों की उम्मीद और जंगलों की रक्षा करने वालों की अदम्य भावना को बखूबी दर्शाता है। इस फिल्म में प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने अपनी मधुर आवाज दी है। वहीं DFO बिज्जू लाल ने न केवल इसे प्रोड्यूस किया है बल्कि इसमें अभिनय भी किया है, फिल्म की सबसे खास बात यह है कि इसमें कई वास्तविक वन अधिकारी और कर्मचारी भी कलाकारों के रूप में नजर आएंगे जिन्होंने अपने वास्तविक अनुभवों को पर्दे पर सजीव किया है।
फिल्म की मुख्य भूमिका में नजर आएंगी अभिनेत्री हर्षिता कोहली जो नैनीताल जिले के रामनगर की रहने वाली हैं। हर्षिता पहले भी कई कुमाऊँनी गीतों में अभिनय कर चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि यह फिल्म न केवल वनाग्नि की घटनाओं और जंगलों को बचाने की कठिनाइयों को दर्शाती है, बल्कि पहाड़ों में रहने वाले लोगों के संघर्षों को भी बेहद संवेदनशीलता से पेश करती है। हर्षिता ने बताया कि इस फिल्म में दिखाया गया है कि वन विभाग के सामने कितनी बड़ी चुनौतियाँ होती हैं जब जंगलों में आग लगती है।
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पहाड़ जितने सुंदर लगते हैं वहां का जीवन उतना ही कठिन है। हमने इस फिल्म में यह दिखाने की कोशिश की है कि प्रकृति की रक्षा के लिए हमें खुद को कितना समर्पित करना पड़ता है।
उन्होंने दर्शकों से अपील की हमारी फिल्म ‘DFO डायरी: फायर वारियर्स, 24 अक्टूबर को रिलीज हो रही है। इसे जरूर देखें क्योंकि यह केवल मनोरंजन नहीं बल्कि पर्यावरण और जंगलों को बचाने का संदेश भी देती है।
फिल्म में एक सच्ची घटना को भी दिखाया गया है पिछले वर्ष अल्मोड़ा जिले के बिनसर क्षेत्र में लगी वनाग्नि, जिसमें कुछ वनकर्मियों ने अपनी जान गंवा दी थी। इस दुखद प्रसंग को बेहद भावनात्मक तरीके से फिल्माया गया है। फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि वनाग्नि से पहाड़ों की पारिस्थितिकी, जंगली जीव-जंतु और स्थानीय लोगों को कितना बड़ा नुकसान होता है।
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कैलाश खेर के गीत और बिज्जू लाल के निर्देशन व अभिनय के साथ यह फिल्म एक सशक्त संदेश देती है प्रकृति हमारी पहचान है, इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी भी है।