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नैनीताल झील किनारे स्थित 90 साल पुरानी दुर्गा साह नगर पालिका लाइब्रेरी जीर्णोद्धार पर डेढ़ करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी जर्जर हो गई है। भवन के हिस्से गिरने का खतरा बना हुआ है जिससे लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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नैनीताल: उत्तराखंड के नैनीताल की शान कही जाने वाली दुर्गा साह नगर पालिका लाइब्रेरी झील किनारे पिछले करीब 90 साल से खड़ी है। लेकिन अब इसकी हालत खराब होती जा रही है। कुछ साल पहले इसके जीर्णोद्धार का काम एडीबी को दिया गया था जिस पर डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किए गए। मरम्मत का काम पूरा हुए डेढ़ साल भी नहीं बीते और भवन दोबारा जर्जर हो गया। किसी तरह जुगाड़ से इसे संभालने की कोशिश की जा रही है। हालत यह है कि भवन का हिस्सा गिर सकता है और कभी भी हादसा हो सकता है।
भारत की बेहतरीन लाइब्रेरी..
अंग्रेजों के जमाने से नैनीताल शिक्षा का बड़ा केंद्र माना जाता है। आजादी से पहले 1933-34 में झील किनारे इस लाइब्रेरी को बनाने की पहल हुई थी। स्थानीय निवासी मोहन लाल साह ने नगर पालिका को प्रस्ताव दिया और पांच हजार रुपये देकर अपने पिता के नाम पर यह लाइब्रेरी बनवाई। पूरी तरह लकड़ी से बने इस भवन में आज भी वेद पुराण पौराणिक ग्रंथ गजेटियर और कई दुर्लभ किताबें सुरक्षित हैं। यह लाइब्रेरी सुबह और शाम लाउडस्पीकर से समाचार सुनाने के लिए भी खास पहचान रखती रही है। कभी इसे उत्तर भारत की बेहतरीन लाइब्रेरी में गिना जाता था।
टूटे हिस्से को म्यूराल से ढकने की कोशिश
साल 2016 में नगर के हेरिटेज भवनों की मरम्मत की शुरुआत हुई तो इसमें भी सुधार की योजना बनी। एडीबी की ओर से वित्त पोषित इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम फॉर टूरिज्म के तहत करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च कर मरम्मत शुरू हुई। सात साल बाद 2023-24 में काम पूरा हुआ और भवन पालिका को सौंपा गया। लेकिन डेढ़ साल बाद ही यह फिर से जर्जर हो गया। लाइब्रेरी के पास बने सेल्फी प्वाइंट और झील की तरफ भवन के हिस्से गिरने का खतरा बना हुआ है। रस्सी लगाकर गिरती लकड़ी और शीशे को रोकने की जुगत की गई है। वहीं टूटे हिस्से को म्यूराल से ढकने की कोशिश की गई है।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी...
लाइब्रेरी हर दिन सुबह साढ़े सात बजे से साढ़े दस बजे तक और शाम पांच बजे से रात आठ बजे तक खुलती है। यहां प्रवेश पूरी तरह निशुल्क है। इसी वजह से रोजाना पचास से ज्यादा लोग यहां पहुंचते हैं। स्कूल कॉलेज के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा और बुजुर्ग यहां अखबार और पत्रिकाएं पढ़ने आते हैं।
जीर्णोद्धार की फिर से कोशिश..
लाइब्रेरी का भवन पूरी तरह लकड़ी का है। जीर्णोद्धार में इस्तेमाल की गई लकड़ी की गुणवत्ता खराब रही जिसकी वजह से यह भवन कमजोर हो गया है। पालिका की ओर से शासन को पत्र भेजकर काम की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं। साथ ही निजी संस्था से बातचीत कर इसके जीर्णोद्धार की फिर से कोशिश की जा रही है।
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डॉ सरस्वती खेतवाल ने बताया कि लाइब्रेरी की हालत काफी खराब हो चुकी है और भवन का हिस्सा कभी भी गिर सकता है। उन्होंने कहा कि डेढ़ करोड़ रुपये खर्च कर इसका जीर्णोद्धार किया गया था लेकिन डेढ़ साल भी नहीं बीते और भवन फिर से जर्जर हो गया। उन्होंने बताया कि झील की ओर हिस्से गिरने का खतरा बना हुआ है और अभी रस्सी और म्यूराल से ही संभालने की कोशिश हो रही है। डॉ खेतवाल ने कहा कि पालिका शासन स्तर पर पत्राचार कर रही है और निजी संस्था से बात कर इसे सुरक्षित बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।