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शनिवार को पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम ने अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की, लेकिन इसके बाद क्या हुआ? प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की हिंसक कार्रवाई और महिलाओं के साथ अभद्रता के आरोप लगाए। अब मामला न्यायालय में जाएगा, जानिए क्या होगा आगे!
अतिक्रमण हटाने के खिलाफ पुलिस और वन विभाग की कार्रवाई
Nainital: उत्तराखंड के रामनगर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां शनिवार की सुबह पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम ने ग्राम पूछडी क्षेत्र में अवैध रूप से अतिक्रमण कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा किए गए भवनों और स्थलों को ध्वस्त किया गया। यह कार्रवाई सरकारी आदेश के तहत की जा रही थी, लेकिन इसे लेकर ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश था।
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान पुलिस द्वारा लोगों के साथ मारपीट और महिलाओं के साथ अभद्रता किए जाने का आरोप प्रदर्शनकारियों ने लगाया। उनका कहना था कि पुलिस की इस कार्रवाई में संवेदनशीलता का पूरी तरह से अभाव था। प्रदर्शनकारियों का यह भी आरोप था कि अतिक्रमण हटाने से पहले सरकार को इन लोगों के पुनर्वास के लिए योजना बनानी चाहिए थी।
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प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अतिक्रमण हटाने के बाद अब कई परिवार बेघर हो गए हैं। कड़ाके की ठंड में इन लोगों के पास अब रहने की कोई जगह नहीं बची है। उनके लिए न तो खाने-पीने की कोई व्यवस्था की गई है, न ही उनका बिजली कनेक्शन फिर से चालू किया गया है।
पुलिस और वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन ने इन लोगों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की, और न ही उनकी स्थिति को सुधारने के लिए कोई कदम उठाया।
प्रदर्शन के दौरान जब लोग गूलरघटटी के समीप मंगल बाजार चौराहे पर नारेबाजी कर रहे थे, तो मौके पर सीओ सुमित पांडे और कोतवाल सुशील कुमार भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे एक दर्जन से अधिक पुरुषों और महिलाओं को हिरासत में ले लिया।
पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई से प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और बढ़ गया। उन्होंने जब बस में सवार होने के बाद भी नारेबाजी जारी रखी, तो उन्होंने पुलिस और सरकार के खिलाफ गुस्से के साथ अपने विचार व्यक्त किए।
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प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पुलिस ने मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी मौके पर जाने से रोका। उनका आरोप था कि सरकार और प्रशासन ने जनता और मीडिया की आवाज को दबाने के लिए यह कदम उठाया। प्रदर्शनकारियों ने अब इस मामले को न्यायालय तक ले जाने की बात कही है और प्रशासन की कार्रवाई की निष्पक्ष जांच की मांग की है।