

श्रावण मास की पवित्र कावड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार के नारसन बॉर्डर पर एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल श्रद्धालुओं को असमंजस में डाल दिया बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चाट भंडार पर बवाल
Haridwar: श्रावण मास की पवित्र कावड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार के नारसन बॉर्डर पर एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल श्रद्धालुओं को असमंजस में डाल दिया बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नारसन क्षेत्र में गुप्ता चाट भंडार नाम से संचालित एक दुकान जब श्रद्धालु द्वारा QR कोड से भुगतान किया गया तो स्क्रीन पर मालिक का नाम गुलफाम प्रदर्शित हुआ। इस खुलासे के बाद मौके पर हड़कंप मच गया।
श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों ने इस घटना को धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मसला बताया और दुकानदार पर जानबूझकर पहचान छुपाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि जब प्रशासन ने पहले ही स्पष्ट निर्देश दे रखे थे कि कावड़ मार्ग पर किसी भी दुकान या प्रतिष्ठान को अपनी असली पहचान छुपाने की अनुमति नहीं है, तो फिर यह दुकान कैसे नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रही थी?
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार स्थानीय लोगों ने इसे धार्मिक आस्था से जुड़ा गंभीर मामला करार देते हुए कहा कि इस प्रकार की धोखाधड़ी न केवल प्रशासन की निगरानी व्यवस्था की पोल खोलती है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या ऐसे और भी प्रतिष्ठान हैं जो फर्जी नामों से संचालित हो रहे हैं?
घटना के बाद कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने नाराजगी जताई है और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों ने कहा कि कावड़ यात्रा जैसे बड़े आयोजन में श्रद्धालुओं की भावना, सुरक्षा और पारदर्शिता सर्वोपरि होनी चाहिए।
प्रशासन पर अब दबाव है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए निगरानी व्यवस्था को सख्त बनाए।
कावड़ यात्रा में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु देशभर से हरिद्वार आते हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाएं प्रशासन की जवाबदेही और सतर्कता पर सवालिया निशान लगाती हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता दिखाता है और क्या इस धोखाधड़ी के पीछे कोई बड़ा नेटवर्क है या यह एकल घटना है।
इस पूरे मामले ने तीर्थ नगरी में धार्मिक और सामाजिक विमर्श को एक नई दिशा दे दी है।