हरिद्वार: भगवानपुर नायब तहसीलदार ने मांगी माफी, काम पर लौटे वकील

हरिद्वार के भगवानपुर में नायब तहसीलदार द्वारा वकीलों के ऊपर की गई टिप्पणी को लेकर तनाव खत्म हो गया है।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 28 June 2025, 6:58 PM IST
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हरिद्वार: भगवानपुर तहसील परिसर में बीते दो दिनों से चला आ रहा वकीलों और प्रशासन के बीच का तनाव शनिवार को उस समय समाप्त हो गया, जब नायब तहसीलदार अनिल गुप्ता धरनास्थल पर पहुंचे और अधिवक्ताओं से सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली। उनके साथ तहसीलदार दयाराम भी मौजूद रहे, जिन्होंने पूरे विवाद को सुलझाने में सक्रिय भूमिका निभाई।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार विवाद की शुरुआत नायब तहसीलदार की कथित वकील-विरोधी टिप्पणी से हुई थी, जिसने अधिवक्ता समाज में नाराजगी पैदा कर दी।

इस विरोध में वकीलों ने तहसील परिसर में दो दिवसीय कार्य बहिष्कार और धरने की शुरुआत की थी। अधिवक्ता समाज की ओर से मांग की जा रही थी कि नायब तहसीलदार सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।

शुक्रवार को अनिल गुप्ता स्वयं धरनास्थल पर पहुंचे और अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा, “मेरा उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था, यदि मेरे शब्दों से किसी को कष्ट पहुंचा है तो मैं इसके लिए खेद प्रकट करता हूं और सार्वजनिक रूप से क्षमा चाहता हूं।” उनकी इस पहल को अधिवक्ताओं ने सकारात्मक रूप में लिया।

तहसीलदार दयाराम ने भी मौके पर संवाद कायम करते हुए कहा, “प्रशासन और अधिवक्ता दोनों का उद्देश्य न्याय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना है, इसलिए हमें एक साथ मिलकर कार्य करना चाहिए।”

धरना स्थगन की घोषणा करते हुए बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र सैनी ने कहा, “हमने माफी को मानवीय दृष्टिकोण से स्वीकार किया है, लेकिन भविष्य में यदि अधिवक्ता समाज की गरिमा को ठेस पहुंची, तो हम इससे बड़ा आंदोलन करेंगे।”

धरने के समापन के दौरान अधिवक्ता चौधरी अनुभव, ताराचंद सैनी, हिमांशु कश्यप, अखिल हसन, हंसराज सैनी, कुलदीप चौहान, अमित शर्मा, आकाश गर्ग, नदीम, तरुण बंसल, शशि कश्यप सहित कई वकील मौजूद रहे।

इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि संवाद, संयम और सार्वजनिक जिम्मेदारी से किसी भी विवाद को शांति से सुलझाया जा सकता है।

बता दें कि मामला मंगलवार को ब्लॉक सागर में बीडीसी सदस्यों और ग्राम प्रधानों की बैठक के दौरान नायब तहसीलदार द्वारा दिए गए एक बयान से जुड़ा है।

बताया जा रहा है कि बैठक में अनिल कुमार गुप्ता ने कहा था कि "दाखिल-खारिज, डोलबंदी जैसे मामलों में फरियादी वकीलों को फीस न दें और सीधे कर्मचारियों से संपर्क करें।" इस बयान को अधिवक्ताओं ने न केवल अपमानजनक बताया, बल्कि इसे वकील समाज की गरिमा के खिलाफ बताया।

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