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देहरादून में क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल में ट्रैफिक समस्याओं पर चर्चा हुई। पुलिस ने ड्रंक ड्राइविंग व नाबालिग चालकों पर कार्रवाई के आंकड़े साझा किए। लगातार जांच और इंफोर्समेंट से हादसों की संख्या घटकर 399 हुई, जिससे सड़क सुरक्षा में सुधार दिखाई दिया।
देहरादून में ट्रैफिक का नया नजरिया (Img- Internet)
Dehradun: राजधानी में बढ़ती यातायात समस्या को लेकर क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल में आयोजित 'लाइसेंस टू वायोलेट? एवरीडे लालेसनेस ऑन इंडियन रोड्स' सत्र में विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों ने गहन चर्चा की। सत्र में पुलिस कार्रवाई और सड़क दुर्घटनाओं के डाटा को साझा करते हुए समस्या की जड़ों तक पहुंचने पर जोर दिया गया।
पुलिस अधीक्षक यातायात लोकजीत सिंह ने कहा, “आज ट्रैफिक समस्या समाज के समक्ष बड़ी चुनौती बन चुकी है। इसके समाधान के लिए समाज के सभी वर्गों को मिलकर काम करना होगा।”
सत्र में उत्तराखंड में हुए कई बड़े हादसों जैसे ओएनजीसी चौक, राजपुर में मर्सडीज दुर्घटना और अल्मोड़ा में बस खाई गिरने की घटनाओं पर चर्चा हुई। एसपी लोकजीत सिंह ने बताया कि इन हादसों के कारणों को जानने के लिए विस्तृत जांच की गई।
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जेपी रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा कराई गई स्टडी में यह सामने आया कि ड्रंक एंड ड्राइविंग के कारण रात्रि में हादसों की संख्या बढ़ रही थी। इसके बाद रात्रि चेकिंग और सख्त इंफोर्समेंट शुरू किया गया, जिससे सकारात्मक परिणाम सामने आए।
पुलिस ने सत्र में निम्नलिखित आंकड़े साझा किए:
2023: 1,90,606 चालान, 9,239 ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित, हादसों की संख्या 426
2024: 1,30,018 चालान, 11,113 ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित, हादसों की संख्या 470
2025: 1,89,619 चालान, 16,409 ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित, हादसों की संख्या घटकर 399
लाइसेंस टू वायोलेट (Img- Internet)
लोकजीत सिंह ने कहा कि लगातार कार्रवाई के चलते सड़क सुरक्षा में सुधार हुआ और हादसों की संख्या में कमी आई।
ड्रंक एंड ड्राइविंग के अलावा, नाबालिग चालकों द्वारा वाहन चलाने को भी बड़ा कारण बताया गया। मौके पर नाबालिगों पर कार्रवाई करने के बजाय उनके अभिभावकों को फोन कर शपथ दिलाई गई कि वे बच्चों को वाहन नहीं चलाने देंगे। एक महीने तक चलाए गए इस अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए।
एसपी देहात जया बलूनी ने कहा, “सिर्फ पुलिस का डर दिखाकर या कार्रवाई करके अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे। ऐसे लिटरेचर फेस्टिवल समाज को जागरूक करने और सड़क सुरक्षा के लिए नई राह दिखाने में मदद कर सकते हैं।” सत्र में ट्रैफिक सुधार और सड़क सुरक्षा को लेकर सुझाव भी साझा किए गए, जिसमें नियमित जागरूकता अभियान, सख्त ड्राइविंग जांच और नाबालिग चालकों पर नियंत्रण शामिल हैं।
देहरादून में ट्रैफिक समस्या केवल नियमों की कमी नहीं, बल्कि समाज के दृष्टिकोण और जागरूकता की कमी का भी परिणाम है। पुलिस कार्रवाई, जागरूकता अभियान और सामूहिक प्रयासों से अब हादसों की संख्या घटकर 399 रह गई है, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सतत और ठोस प्रयास ही समाधान ला सकते हैं।