

जनपद में गुरुवार को “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत एक भावनात्मक और पर्यावरणीय पहल में भाग लेते हुए सीएम ने रुद्राक्ष का पौधरोपण किया।
एक पेड़ मां के नाम की शुरुआत
हरिद्वार: जनपद में गुरुवार को "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के अंतर्गत एक भावनात्मक और पर्यावरणीय पहल में भाग लेते हुए सीएम ने रुद्राक्ष का पौधरोपण किया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे न केवल हमारे पर्यावरण को संतुलित रखते हैं, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार सीएम ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य केवल पौधारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक को उसकी मां के सम्मान में एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित करता है।
यह भावनात्मक जुड़ाव पर्यावरण संरक्षण को एक जन आंदोलन में बदलने की दिशा में एक सशक्त कदम है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस अभियान से जुड़कर अपने परिवेश को हराभरा और स्वच्छ बनाएं।
उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण ही नहीं बल्कि हरिद्वार जैसे पवित्र नगर की गरिमा और स्वच्छता को बनाए रखना भी है। इसी भावना के साथ इस बार “ग्रीन और क्लीन कांवड़ यात्रा” का संदेश दिया गया है, ताकि धर्म और पर्यावरण दोनों की रक्षा एक साथ हो सके।
पौधारोपण कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री गंगा घाट पहुंचे, जहां उन्होंने स्वयं झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संदेश दिया। इस प्रतीकात्मक gesture के माध्यम से उन्होंने 'स्वच्छ भारत अभियान' को धरातल पर उतारने की प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में निरंतर कार्य कर रही है और जनसहभागिता से ही इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मां के सम्मान में एक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना है, ताकि भावनात्मक जुड़ाव के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को जन-आंदोलन बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि मां और प्रकृति दोनों की सेवा करना हमारा कर्तव्य है। यह अभियान समाज में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी संदेश देता।
इस अवसर पर हरिद्वार सांसद डॉ. कल्पना सैनी, विधायक मदन कौशिक, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, हरिद्वार की मेयर किरण जैसल, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, डीजीपी दीपम सेठ सहित कई अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का उद्देश्य केवल पौधारोपण तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक संदेश भी लेकर आया कि जब हम अपने प्रियजनों की स्मृति में प्रकृति को समर्पित करते हैं, तो उसका प्रभाव लंबे समय तक समाज और पर्यावरण दोनों पर पड़ता है। मुख्यमंत्री की यह पहल निश्चित रूप से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण बनेगी।