नहीं करना होगा लंबा इंतजार, यूपी में अब सिर्फ 4 घंटे में आएगी पोस्टमार्टम रिपोर्ट

प्रदेश सरकार की तरफ से मेडिकल कॉलेजों को अधिकतम चार घंटे में पोस्टमार्टम करने के निर्देश दिए हैं। विस्तृत जानकारी के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Jaya Pandey
Updated : 27 June 2025, 5:23 PM IST
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को सरल बना दिया है और अब पोस्टमार्टम पूरा करने में केवल 4 घंटे लगेंगे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश सरकार की तरफ से मेडिकल कॉलेजों को अधिकतम चार घंटे में पोस्टमार्टम करने के निर्देश दिए हैं, ताकि दुख की इस घड़ी में परिजनों का दर्द कम हो सके।

नई गाइडलाइन

उपमुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने आज यहां पोस्टमार्टम की नई गाइडलाइन जारी की। जिन जिलों में बड़ी संख्या में पोस्टमार्टम हो रहे हैं, वहां सीएमओ समय सीमा के भीतर पोस्टमार्टम करने के लिए डॉक्टरों की समुचित व्यवस्था करेंगे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सूर्यास्त के बाद नियमानुसार पोस्टमार्टम किया जाए। शव के साथ संबंधित अभिलेख भी जल्द से जल्द पोस्टमार्टम हाउस भेजे जाएं।

1,000 वॉट की लाइट

रात में पोस्टमार्टम के मामले में 1,000 वॉट की लाइट की व्यवस्था की जाए। अन्य जरूरी संसाधन भी पर्याप्त हों, ताकि पोस्टमार्टम की कार्रवाई 24 घंटे चलती रहे। उन्होंने सुझाव दिया कि हत्या, आत्महत्या, यौन अपराध, क्षत-विक्षत शव और संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से जुड़े मामलों में रात में पोस्टमार्टम न किया जाए। डिप्टी सीएम ने कहा कि अपरिहार्य कारणों से जिला मजिस्ट्रेट और उनके अधिकृत अधिकारी की अनुमति पर रात में भी पोस्टमार्टम किया जा सकता है।

पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी

सरकारी आदेश में कहा गया है कि शादी के पहले 10 साल में मौत, पुलिस मुठभेड़, पुलिस हिरासत में मौत या किसी रहस्यमयी मौत के मामले में रात में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य की जाए।

ऑनलाइन रिपोर्ट

पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ऑनलाइन किया जाए। इसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। डिप्टी सीएम ने कहा कि सीएमओ पोस्टमार्टम हाउस में एक कंप्यूटर ऑपरेटर और दो डाटा एंट्री ऑपरेटर तैनात करें। शव को अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था की जाए। सीएमओ को प्रत्येक जिले में दो शव वाहन की व्यवस्था करनी चाहिए।

महिला डॉक्टर हों शामिल

महिलाओं के खिलाफ अपराध, बलात्कार, शादी के पहले 10 साल के भीतर महिला की मौत के मामले में पोस्टमार्टम पैनल में अनिवार्य रूप से महिला डॉक्टर को शामिल किया जाना चाहिए। अज्ञात शव की पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग की जानी चाहिए।

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