

खरीफ के फसल के बुआई के बीच यूरिया की मारामारी ने किसानों को परेशान कर रखा है, ऐसे मे कल कुछ समिति पर यूरिया बटेंगी जिससे किसानों को फायदा मिलेगा। लक्ष्मीपुर क्षेत्र के सहकारी समितियों पर सोमवार को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध होगी जिससे किसानों को बड़ी राहत मिलने के उम्मीद हैं।
यूरिया के लिए लाइन में खड़े लोग
Maharajganj: महराजगंज जिले में खरीफ की फसल की बुआई के बीच यूरिया की भारी किल्लत ने जिले के किसानों को मुश्किल में डाल दिया है। खाद के लिए किसान सहकारी समितियों और दुकानों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकतर जगहों पर या तो खाद उपलब्ध नहीं है या फिर ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। इस बीच सोमवार को लक्ष्मीपुर क्षेत्र की सहकारी समितियों पर यूरिया खाद उपलब्ध होने की खबर ने किसानों को थोड़ी राहत की उम्मीद दी है।
किसानों की दुश्वारियां
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, किसानों का कहना है कि वे बुवाई के लिए जरूरी खाद नहीं जुटा पा रहे हैं। कुछ किसान मजबूरी में महंगे दामों में यूरिया खरीदकर खेतों में डाल रहे हैं। वहीं, अधिकतर समितियों पर या तो खाद नहीं है या फिर लंबी कतारें लग रही हैं।
ADO कोआपरेटिव का बयान
ADO कोआपरेटिव इंदु प्रकाश राय ने बताया कि लक्ष्मीपुर क्षेत्र की कुल 10 सहकारी समितियों में से अधिकतर पर थोड़ी-बहुत यूरिया उपलब्ध है। उन्होंने जानकारी दी कि समरधीरा, मानिकतालाब, राजपुर, महुअवा अड्डा समेत प्रमुख समितियों पर रविवार को 18 मीट्रिक टन यूरिया (प्रत्येक पर लगभग 500 बोरी) भेजा गया है। यह खाद सोमवार को किसानों को वितरित किया जाएगा। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पैनिक न हों, जल्द ही सभी समितियों पर खाद की आपूर्ति सामान्य हो जाएगी।
प्रशासन की देखरेख में होगा वितरण
ADO राय ने बताया कि सोमवार को सभी समितियों पर प्रशासन की निगरानी में यूरिया वितरण किया जाएगा। ओवररेटिंग या कालाबाजारी की शिकायत मिलने पर जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यूरिया वितरण व्यवस्था पर कड़ी नजर रखी जा रही है ताकि खाद वास्तविक किसानों तक पहुंचे और कोई व्यक्ति या संस्था इसका दुरुपयोग न कर सके।
यूरिया की तस्करी से प्रशासन चिंतित
यूरिया की कमी के बीच तस्कर सक्रिय हो गए हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कुछ दुकानदार और गोदाम संचालक तस्करों को खाद बेचकर नेपाल भेज रहे हैं, जहां यह ऊंचे दामों में बिक रही है। सीमावर्ती इलाकों में रात के समय यूरिया की तस्करी तेज हो गई है, जिससे वास्तविक किसान और भी ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। प्रशासन के लिए यह बड़ा सवाल बन गया है कि जब किसान कतारों में खड़े हैं, तब तस्करों को खाद कैसे मिल रही है?