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सोनभद्र के बभनौली गांव में आयोजित ‘चंगाई सभा’ को लेकर धर्म परिवर्तन के आरोपों से माहौल तनावपूर्ण हो गया। हिंदू संगठनों ने सभा का विरोध किया तो पुलिस ने पास्टर और उनकी पत्नी को हिरासत में लिया। आरोपी पक्ष का दावा है कि यह सिर्फ प्रार्थना थी, जबकि जांच अभी जारी है।
हिंदू संगठनों का हंगामा
Sonbhadra: सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के बभनौली गांव में मंगलवार को धर्म परिवर्तन के आरोप को लेकर जमकर हंगामा खड़ा हो गया। गांव में सुनील पाल के घर पर एक 'चंगाई सभा' का आयोजन किया जा रहा था, जिसमें पास्टर रामू प्रजापति, उनकी पत्नी रिंकी सहित करीब एक दर्जन लोग मौजूद थे। जैसे ही हिंदू संगठनों को इस सभा की जानकारी मिली, वे मौके पर पहुंच गए और जबरदस्त विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद माहौल तनावपूर्ण होता चला गया और मामला पुलिस तक पहुंच गया।
सूचना मिलते ही रॉबर्ट्सगंज कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और किसी भी बड़ी घटना की संभावना को देखते हुए सभा में मौजूद सभी लोगों को थाने ले आई। पुलिस ने बताया कि शिकायतकर्ताओं की तहरीर के आधार पर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है। वहीं, हिंदू संगठनों ने इसे 'धर्मांतरण की कोशिश' बताते हुए कड़ा विरोध किया है।
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भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के जिला मंत्री शिवम राजपूत ने बताया कि उन्हें गांव में धर्मांतरण की गतिविधि चलने की सूचना मिली थी। जब वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंचे तो उपस्थित लोगों द्वारा स्थानीय ग्रामीणों, खासकर महिलाओं को आगे कर विरोधियों को धमकाया जा रहा था। राजपूत ने कहा कि सोनभद्र में किसी कीमत पर धर्मांतरण का खेल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने इसे समाज को तोड़ने की कोशिश करार दिया।
उनके अनुसार, सभा में बाहरी लोगों की मौजूदगी यह संकेत देती है कि यह केवल धार्मिक प्रार्थना का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि उससे अधिक गंभीर गतिविधि हो सकती थी। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते हिंदू संगठन वहां नहीं पहुंचते, तो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया जा सकता था।
बभनौली गांव में हंगामा
दूसरी ओर, आरोपों का सामना कर रहे परिवार और उनके समर्थकों ने इस पूरे मामले को हिंदू संगठनों की जबरदस्ती और बदनीयती बताते हुए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। आशा देवी, मंजू और अधिवक्ता आर.सी. भारत ने बताया कि वे अपने घर में प्रभु यीशु की प्रार्थना कर रहे थे, जो संविधान के तहत उनका मूल अधिकार है। उन्होंने कहा कि जबरन घर में घुसकर उन्हें बदनाम किया गया और बिना किसी सबूत के धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया गया।
आर.सी. भारत ने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के माध्यम से देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए लगातार माहौल तैयार कर रही है। उन्होंने कहा कि "धर्म परिवर्तन" का आरोप लगाकर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन उनकी मंशा कभी सफल नहीं होगी।
परिवार का कहना है कि उनके घर में किसी तरह का धर्म परिवर्तन करने का प्रयास नहीं किया गया था, बल्कि वे रोजमर्रा की तरह सिर्फ प्रार्थना सभा कर रहे थे।
पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच के बाद दो लोगों- पास्टर रामू प्रजापति और उनकी पत्नी रिंकी- के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। दोनों पर उत्तर प्रदेश अवैध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं। पुलिस के मुताबिक, दोनों को अदालत के सामने प्रस्तुत कर जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
कोतवाली पुलिस ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आगे भी जांच जारी रहेगी। यदि और लोगों की भूमिका सामने आई तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस गांव में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात कर सकती है ताकि किसी तरह का तनाव न बढ़े।
घटना के बाद बभनौली गांव में तनाव का माहौल है। एक ओर स्थानीय हिंदू संगठन इसे धर्मांतरण का मामला बता रहे हैं, तो दूसरी ओर आरोपी परिवार ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता में दखल बताया है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा।
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फिलहाल, पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच से ही साफ हो पाएगा कि यह मामला वास्तव में धर्मांतरण का प्रयास था या सिर्फ एक साधारण प्रार्थना सभा को लेकर खड़ी हुई गलतफहमी।