

उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद में चल रहा ‘पट्टा’ घोटाला, अनुसूचित जाति के नाम पर संपन्न वर्ग को बांटी गई जमीन, ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान और लेखपाल की मिलीभगत है।
चंदौली के बाघी गांव में पट्टा घोटाला
Chandauli: जिले के सुदूरवर्ती नौगढ़ तहसील क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ अनुसूचित जाति और वनवासी समुदाय को मिलने वाले आवासीय पट्टे का घोर दुरुपयोग किया गया है। यूपी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत पात्र वंचित वर्गों को आवासीय पट्टा और आवास योजना का लाभ देना था, लेकिन नौगढ़ के बाघी गांव में नियमों को ताक पर रखकर अपात्र लोगों को लाभ पहुंचाया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान नीलम ओहरी और लेखपाल की मिलीभगत से यह खेल अंजाम दिया गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, दिसंबर 2022 में शासन ने नौगढ़ क्षेत्र के 75 अनुसूचित जाति के पात्र लोगों को पट्टा देने का निर्देश दिया था, लेकिन जब आवंटित भूमि पर मकान बनना शुरू हुआ तो अनियमितताओं का खुलासा हुआ। राजनाथ नाम के एक व्यक्ति ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि उसका नाम और आधार कार्ड लेकर ग्राम प्रधान ने धोखाधड़ी की। उसकी जगह सेमरा कुशही गांव निवासी और यादव जाति के राजनाथ यादव को अनुसूचित जाति बताकर पट्टा दे दिया गया। राजनाथ यादव वर्तमान में बाघी बाजार में मेडिकल स्टोर चलाता है और संपन्न वर्ग से आता है।
इतना ही नहीं, गांव के कई अन्य लोगों ने भी आरोप लगाया है कि उनसे पट्टे के लिए पैसों की मांग की गई थी। एक व्यक्ति ने ₹21,000 तक दिए, लेकिन एक साल बाद पैसे लौटा दिए गए और उसे पट्टा नहीं मिला। जिन लोगों को पट्टा दिया गया, उनमें से कई सोनार, जनरल स्टोर संचालक और अन्य व्यवसायी हैं। वहीं जिन गरीब अनुसूचित जाति के लोगों को इसका वास्तविक लाभ मिलना था, वह आज भी कच्चे झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं।
अपात्रों को बांटी गई सरकारी जमीन
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से लेकर आईजीआरएस पोर्टल तक हर जगह शिकायत की है। हाल ही में डीएम कार्यालय पहुंचकर ग्रामीणों ने सबूतों के साथ शिकायत पत्र भी सौंपा, जिसके बाद डीएम ने एसडीएम नौगढ़ के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित कर दी है। लेकिन दो साल बाद भी अब तक किसी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे ग्रामीणों में भारी नाराजगी है।
इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी ने भी यूपी सरकार पर हमला बोला है। सपा जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर ने आरोप लगाया कि भाजपा के जनप्रतिनिधि और अधिकारी मिलकर सरकार की योजनाओं को लूट का जरिया बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह भ्रष्टाचार का मामला है। रॉबर्ट्सगंज से सपा सांसद छोटेलाल खरवार, जो खुद बाघी गांव के निवासी हैं, ने भी ग्राम प्रधान पर भाजपा नेताओं के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले को आगामी बैठक में डीएम के सामने उठाया जाएगा।
यह मामला एक ओर सरकार की "जीरो टॉलरेंस" नीति की सच्चाई उजागर करता है, तो दूसरी ओर ग्रामीणों की उस पीड़ा को भी सामने लाता है जो वर्षों से योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। अगर समय रहते जांच कर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह घोटाला एक बड़ी प्रशासनिक विफलता बन सकता है।