

उत्तर प्रदेश के महराजगंज में निर्माणाधीन पुलिस बूथ का दो बार शिलान्यास से राजनीती गर्मा गई है । पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
पुलिस बुथ का दो बार शिलान्यास
महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज में पुलिस बूथ का दो बार शिलान्यास पर राजनीती तेज हो गई है। पूरा मामला कोल्हुई कस्बे में निर्माणाधीन पुलिस बूथ का है। जहां पुलिस बूथ का दो बार शिलान्यास होना अब राजनीतिक हलकों में चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, महराजगंज में प्रशासनिक समन्वय पर सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों के बीच बयानबाजी भी तेज हो गई है।
हराजगंज में पुलिस बूथ का दो बार शिलान्यास होने से बयानबाजी का सिलसिला चलने लगा है। ये मामला कोल्हुई कस्बे में निर्माणाधीन पुलिस बूथ का है । जिसका दो बार शिलान्यास होने से कई सवाल खड़े हो गए है।
कोल्हुई कस्बे में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए पुलिस बूथ का निर्माण प्रस्तावित है। इसी के तहत 30 मार्च को पुलिस अधीक्षक सोमेंद्र मीना ने PWD परिसर में पुलिस बूथ के लिए स्थान चिन्हित किया था।
इसके बाद 20 अप्रैल को व्यापार मंडल अध्यक्ष श्रीराम जायसवाल की अगुवाई में भूमि पूजन सहित विधिवत रूप से शिलान्यास किया गया। इस दौरान स्थानीय व्यापारियों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति भी दर्ज की गई थी।
इसके कुछ ही दिनों बाद मई माह के पहले सप्ताह में उसी पुलिस बूथ का पुनः शिलान्यास किए जाने की सूचना सामने आई। बताया जा रहा है कि एक अन्य समूह द्वारा फिर से उसी स्थल पर शिलान्यास किया गया। इस दोहरे शिलान्यास को लेकर कोल्हुई में तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। जनता के बीच यह सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि जब एक बार विधिवत शिलान्यास हो चुका था, तो दोबारा इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी?
इस मामले पर कोल्हुई के पूर्व प्रधान एवं समाजसेवा करने वाले मनोज सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह साफ तौर पर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल की कमी को दर्शाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग पुलिस की चापलूसी में लगे हैं और अपनी राजनीति चमकाने के लिए ऐसे कदम उठा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोल्हुई आज भी कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित है, जिनकी ओर किसी का ध्यान नहीं है।
पुलिस बूथ का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन शिलान्यास के नाम पर दो बार मंच सजने से जनता में भ्रम और असंतोष की स्थिति पैदा हो गई है। प्रशासन की चुप्पी इस मामले को और अधिक संदेहास्पद बना रही है।